त्योहार के साथ एक सभ्यतागत संदेश भी है दीपावलीः राधाकृष्णन

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने गुरुवार को सदन में दीपोत्सव दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल होने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर 2025 को घोषित इस प्रतिष्ठित मान्यता से हमारे देश और दुनियाभर में रह रहे भारतीयों के बीच खुशी और उल्लास का संचार हुआ है। दीपावली केवल एक त्योहार नहीं है; यह एक सभ्यतागत संदेश है।
राधाकृष्णन ने कहा कि यह अंधकार पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की, निराशा पर आशा की और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इसका सार्वभौमिक दर्शन आस्थाओं, क्षेत्रों और पीढ़ियों से परे है, जो भारत की मूल भावना अर्थात समावेशिता, कांति और दृढ़ता को दर्शाता है। दीपावली भारत का 16वां तत्व है जिसे यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया है, जिससे भारत की सभ्यतागत विरासत की आभा और संवर्धित हुई है। उन्होंने सदन की ओर से सभी भारतीयों, अपने सांस्कृतिक संदेशवाहकों और हर उस व्यक्ति तथा संस्था को बधाई दी जिसने इस वैश्विक मान्यता को प्राप्त करने में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि हमें अपनी समृद्ध विरासत और परंपराओं को संरक्षित करने, उन्हें बढ़ावा देने और उन पर गर्व करने के लिए नई प्रतिबद्धता और श्रद्धा के साथ प्रेरित करेगी।

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