विधि विभाग द्वारा राय मांगने पर हाईकोर्ट नाराज, कहा- सिर्फ राज्यपाल एवं राष्ट्रपति को अधिकार
जबलपुर{ गहरी खोज }: मप्र उच्च न्यायालय के जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस रामकुमार चौबे की डिवीजन बेंच ने विधि और विधायी कार्य विभाग के अंडर सेक्रेटरी आरके सिंह को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि किसी भी मामले में कोर्ट से राय मांगने का अधिकार भारत के संविधान ने सिर्फ राज्यपाल या राष्ट्रपति को दिया है। विधि और विधायी कार्य विभाग कोर्ट से यह नहीं पूछ सकता कि ‘नोटरी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए’। इसके लिए वो लिखित में माफी मांगे।
उल्लेखनीय है कि अनूपपुर जिले में हत्या के आरोप में निर्मल कुमार झा को 28 फरवरी 2023 को उम्रकैद की सजा थी। इस फैसले के खिलाफ निर्मल कुमार झा ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। 27 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कहा था कि अनूपपुर की जिला सत्र न्यायालय में ट्रायल के दौरान सरकारी वकील (एपीपी) जीपी अग्रवाल के कार्य पर टिप्पणी की थी। बेंच ने सरकारी वकील अग्रवाल खिलाफ के कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस मामले पर 8 दिसंबर को हुई सुनवाई पर कोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि विधि विभाग कोर्ट से पूछना चाह रहा कि नोटरी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए। इसको गंभीरता से लेते हुए बेंच ने विधि विभाग के संबंधित अधिकारी को हाजिर होकर जवाब पेश करने कहा था।
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान विधि और विधायी कार्य विभाग के अंडर सेक्रेटरी आरके सिंह, शासकीय अधिवक्ता मानस मणि वर्मा के साथ हाजिर हुए। अंडर सेक्रेटरी के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें लिखित में माफी मांगने के निर्देश दिए।
