चुनाव आयोग पर आरोप लगाकर लोकतंत्र को धूमिल कर रहा विपक्ष : शाह

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा है कि जनता को गुमराह करने की उनकी रणनीति के कारण भारतीय लोकतंत्र की छवि प्रभावित हो रही है।
श्री शाह ने बुधवार को लोकसभा में चुनाव सुधारों पर दो दिनों तक हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को भी कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है और कहा है कि उसके इशारे पर चुनाव आयोग काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग अपना काम अपने हिसाब से करता है और उसे कोई रोक भी नहीं सकता है क्योंकि संविधान ने उसे देश में अपने हिसाब से निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार दिया है। आयोग की लोकसभा, राज्य सभा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, विधानसभाओं के चुनाव कराने की जिम्मेदारी है। आयोग कब और कैसे चुनाव कराता है इससे सरकार का कोई मतलब नहीं होता है और एसआईआर का काम भी आयोग ने ही शुरु किया है। इस पर विपक्ष का सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप निराधार है। उनका कहना था कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उस पर सरकार का दखल नहीं चलता है।
विपक्ष ने चुनाव सुधारों को लेकर श्री शाह की बातों पर असहमति जताते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया। गृहमंत्री ने कहा कि एसआईआर चुनाव आयोग का फैसला है और उन्हें लगता है कि देश में निष्पक्ष और स्वच्छ चुनाव के लिए यह फैसला उचित है। उन्होंने एसआईआर को मतदाता सूची शुद्धि की प्रक्रिया बताया और कहा कि एक साफ सुथरी मतदाता सूची के तहत लोगों से मतदान कराना चुनाव आयोग का दायित्व है और एसआईआर की उसकी प्रक्रिया इसी दायित्व के निर्वहन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची तैयार करना और उसमें नाम जोड़ने तथा हटाने की प्रक्रिया चलाने का अधिकार संविधान ने उसे दिया है और 1995 में हुए उच्चतम न्यायालय ने भी कहा है कि नाम जोड़ने और हटाने का अधिकार सिर्फ रिटर्निंग आफिसर को है। मतदाता सूची में शामिल होने के लिए पहली शर्त आयोग की यही है कि जिसका नाम मतदाता सूची में रखा जा रहा है वह भारत का नागरिक हो और दूसरी शर्त है कि उसकी उम्र 18 साल हो।
श्री शाह ने कहा कि विपक्ष और खासकर कांग्रेस एसआईआर को लेकर शुरु से ही सरकार पर हमला कर रहा है। उसका आरोप है कि भाजपा की यह चुनाव जीतने की रणनीति है लेकिन विपक्ष को यह भी समझना चाहिए कि चुनाव में जीत हार का फैसला जनता करती है। उसमें एसआईआर जैसा कोई फैक्टर काम नहीं करता है। एसआईआर के जरिए सिर्फ वैध मतदाता को ही मतदाता सूची में रखने का काम हो रहा है इसलिए एसआईआर मतदाता सूची में शुद्धि की एक प्रक्रिया है और चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को साफ सुथरी चुनाव सूची के लिए शुरु किया है। उनका कहना था कि एसआईआर की प्रक्रिया पहले चुनाव से ही चल रही है और इस क्रम में सबसे पहले एसआईआर 1952 में हुआ था। उसके बाद 1957, फिर 1962 और 1965 तथा 66 में हुआ और फिर 2004 के बाद अब 2025 में हो रहा है। यह चुनाव आयोग के काम का हिस्सा है और चुनाव में निष्पक्षता तथा पारदर्शिता के लिए वह इस तरह की प्रक्रिया को अपनाता रहता है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष माहौल बनाने का प्रयास करता रहा है कि सरकार एसआईआर पर चर्चा नहीं करना चाहती है। इसी का परिणाम है कि इस सत्र की शुरुआत में पहले दो दिन संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी। विपक्ष का यह जनता के बीच यह संदेश देने का प्रयास था कि सरकार चर्चा नहीं कराना चाहती है और सच में सरकार एसआईआर पर चर्चा कराने को कभी तैयार भी नहीं थी। उनका कहना था कि भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के लोग हमेशा चर्चा के पक्ष में रहते हैं और हम चर्चा से कभी नहीं भागते नहीं हैं लेकिन यहां एसआईआर पर चर्चा के लिए हमने उनकी सरकार ने ही नहीं कहा, और इसके पीछे भी कुछ कारण थे। विपक्ष एसआईआर की विस्तार से समीक्षा की मांग कर रहा है लेकिन यह संभव नहीं था क्योंकि यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। चर्चा के दौरान यदि कोई बड़ा सवाल आता तो उसका जवाब कौन देता इसलिए हमने तय किया कि एसआईआर पर चर्चा नहीं करवाएंगे। इस पर चर्चा होगी तो जवाब कौन देगा। विपक्ष जब चुनाव सुधार पर चर्चा के लिए तैयार हुआ, सरकार ने इस पर दो दिन चर्चा करा दी।
श्री शाह ने कहा “चर्चा तय हुई चुनाव सुधार पर लेकिन विपक्ष के सदस्यों ने एसआईआर पर ही बोला। जवाब तो मुझे देना पड़ेगा। मैंने पहले के भी सभी एसआईआर का गहन अध्ययन किया है और कांग्रेस की ओर से फैलाए गए झूठ का अपने तर्कों के हिसाब से जवाब देना चाहता हूं। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। श्री शाह ने कहा कि विपक्ष एसआईआर का मुद्दा छेड़कर बहस को भटकाना चाहता था, जबकि सरकार व्यापक चुनावी सुधारों पर सार्थक चर्चा चाहती थी।”
उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है, यह व्यवस्था जब बनी, तब हम थे ही नहीं। अनुच्छेद 324 में चुनाव आयुक्त को विशेष अधिकार दिए गए। अनुच्छेद 326 में मतदाता की पात्रता तय की गई है। एसआईआर का अधिकार चुनाव आयोग को अनुच्छेद 327 में है। एसआईआर चुनाव को पवित्र रखने की प्रक्रिया है। चुनाव जिस आधार पर होते हैं, वह वोटर लिस्ट ही अशुद्ध है, तो चुनाव कैसे पवित्र हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए यह तय नहीं कर सकते कि सीएम-पीएम कौन हो।
गृह मंत्री ने कहा “हम भी विपक्ष में रहे हैं। हम जीतने से ज्यादा हारे हैं। कई चुनाव हम हारे हैं। हमने चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग पर कभी आरोप नहीं लगाए। अब एक नया पैटर्न खड़ा किया गया है। सुश्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए, श्री स्टालिन ने लगाए, श्री राहुल गांधी ने लगाए, श्री अखिलेश यादव ने लगाए, श्री हेमंत सोरेन ने लगाए, श्री भगवंत मान ने लगाए। पहले ऐसी परंपरा सिर्फ कांग्रेस में थी लेकिन कड़ी ऐसी जुड़ी की यह आरोप अब इंडी गठबंधन के लोग भी लगाने लगे।”
उन्होंने कहा कि विपक्ष पूरे चुनाव आयोग की छवि को पूरी दुनिया में धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। आपको लग रहा है कि आप सरकार की छवि धूमिल कर रहे हैं, आप देश की छवि खराब कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वोट चोरी के नाम पर देशवासियों को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एसआईआर लोकतंत्र को पवित्र रखने की प्रक्रिया है। समय समय पर गहन पुनरीक्षण जरूरी है इसलिए आयोग ने इसे कराने का फैसला किया गया। उन्होंने सवाल किया किसी भी देश का लोकतंत्र सुरक्षित रह सकता है जब देश का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री चुनने वाले घुसपैठिये होंगे। एसआईआर सिर्फ मतदाता सूची का शुद्धिकरण है।
मतदान के सीसीटीवी फुटेज 45 दिनों बाद डिलीट करने के विपक्षी दलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि 45 दिन बाद किसी चुनाव के संबंध में कोई याचिका दाखिल नहीं की जा सकती इसलिए इनकी जरूरत नहीं होती है। यदि इन्हें पूरे देश में रखने की प्रक्रिया शुरु की जाए तो यह कठिहन हो जाएगा क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में मतदान के सीसीटीवी फुटेज होते हैं, यदि सभी के फुटेज रखना शुरु कर दिया जाय और हर कोई मांगने लगे तो, उन्हें दे पाना संभव नहीं हो सकेगा।
श्री शाह ने कहा कि उनकी सरकार की मंशा घुसपैठियों का पता लगाना, उन्हें मतदाता सूची से हटाना और उन्हें देश से बाहर भेजना है। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकी में परिवर्तन बहुत बड़ा खतरा है। घुसपैठ को रोकना बहुत जरूरी है। देश एक बार धर्म के आधार पर बंट चुका है, भविष्य में ऐसी नौबत न आये, इसलिए घुसपैठ पर रोक लगाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार सीमा पर बाड़ लगाने में सहयोग नहीं कर रही है, इसलिए घुसपैठ होती है। घुसपैठिये जिन गांवों में आते हैं, वहां के ग्राम प्रधान, पटवारी और संबंधित थाने में इसकी जानकारी हो जाती है, लेकिन कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती। इसका जवाब दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि अनेक संस्थाओं में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा के लोग बैठा दिये गये हैं, लेकिन इसमें बुराई क्या है। देश के प्रधानमंत्री संघ की विचारधारा के हैं, गृह मंत्री संघ की विचारधारा के हैं।

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