छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अंतिम सांसें गिन रहा, राज्य के विकास में आई है तेजी : विष्णुदेव साय

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ग्वालियर{ गहरी खोज }: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शुक्रवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंचे, जहाँ वे एक निजी कार्यक्रम में शामिल हुए। ग्वालियर एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने अपनी सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में लंबे समय से विकास की राह में बाधा बने नक्सलवाद का लगभग खात्मा हो चुका है और यह अब अपने अंतिम चरण में है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “हमारे दो साल का कार्यकाल ऐतिहासिक रहा है। छत्तीसगढ़ के विकास में जो सबसे बड़ी बाधा वर्षों से थी, वह थी नक्सलवाद। हमारे वीर जवानों के अदम्य साहस, लगातार चल रही सुरक्षा रणनीतियों और सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण नक्सलवाद अब अंतिम सांसें ले रहा है। प्रदेश में लोगों के बीच सुरक्षा और विश्वास का माहौल बना है, जिससे विकास कार्यों को गति मिली है।”
साय ने छत्तीसगढ़ के विकास के भविष्य को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्हाेंने कहा कि केंद्र सरकार भी इस दिशा में अत्यंत संकल्पित है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान का उल्लेख ,किया जिसमें मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, “जो संकल्प मोदी जी और अमित शाह जी ने लिया है, वह पूरा होते साफ दिखाई दे रहा है। खासकर बस्तर जैसे क्षेत्र में, जहाँ कई दशकों से नक्सलियों का दबदबा था और जो विकास की मुख्यधारा से काफी दूर था, अब वहाँ विकास की गंगा बहने वाली है। सड़कें, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएँ तेज़ी से लोगों तक पहुँच रही हैं।”
एयरपोर्ट पर मीडिया से अनौपचारिक बातचीत के दौरान पत्रकारों ने जब छत्तीसगढ़ में जमीन के गाइडलाइन रेट में कथित बढ़ोतरी को लेकर सवाल किया, तो मुख्यमंत्री साय ने इस मुद्दे पर भी स्पष्ट प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “ऐसा कुछ नहीं है… सिर्फ माहौल बनाया जा रहा है। थोड़ा बहुत कुछ होगा भी तो उसका समाधान हो जाएगा।” उन्होंने कहा कि विपक्ष तथ्यों से दूर होकर भ्रम फैलाने की कोशिश करता है, लेकिन सरकार पारदर्शी तरीके से हर मुद्दे को देख रही है और जनता पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ने दिया जाएगा।
दरअसल गाइडलाइन रेट को लेकर हाल ही में कुछ क्षेत्रों में समीक्षा की गई है, लेकिन सरकार का फोकस यह सुनिश्चित करना है कि आम नागरिकों पर किसी प्रकार का अनावश्यक आर्थिक भार न पड़े। इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में यदि कहीं कोई असंतोष या दिक्कत सामने आती है तो सरकार तुरंत सुधारात्मक कदम उठाएगी।
पत्रकारों ने मुख्यमंत्री साय से उस मुद्दे पर भी सवाल किया जो हाल ही के दिनों में चर्चा का विषय बना रहा है—छत्तीसगढ़ में भगवान राम की प्रतिमा स्थापना। राम वन गमन पथ पर स्थापित की जाने वाली इस प्रतिमा को लेकर विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर मुख्यमंत्री ने कहा, “लग जाएगा… संस्कृति मंत्री जी का बयान आ गया है।” मुख्यमंत्री के इस बयान ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार इस परियोजना को लेकर पूरी तरह गंभीर है और जल्द ही प्रतिमा स्थापना की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
उल्‍लेखनीय है कि राम वन गमन पथ मध्‍य प्रदेश के साथ ही छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर से जुड़ा महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। राज्य में भगवान राम के प्रवास स्थलों को विकसित करने के उद्देश्य से इस परियोजना पर तेजी से काम जारी है। मुख्यमंत्री ने संकेत दिए कि आने वाले दिनों में इस दिशा में और महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं।
उधर, ग्वालियर एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री साय के साथ छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह भी मौजूद थे। दोनों नेताओं की संयुक्त उपस्थिति को छत्तीसगढ़ भाजपा के भीतर मजबूत एकजुटता के संदेश के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नक्सलवाद पर निर्णायक कार्रवाई, विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की गति और केंद्र सरकार के सहयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल को राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बनाया है।

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