भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए संकल्पबद्ध : मोदी

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कहा कि भारत और रूस अपने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। राष्ट्रपति पुतिन के साथ वार्ता की शुरुआत में मोदी ने कहा कि दोनों देश अपने आर्थिक संबंधों और मजबूत बनायेंगे तथा वे संबंधों को लेकर बहुत आशांवित हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हैदराबाद हाउस में दो-तरफ़ा बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए हैदराबाद हाउस पहुंचने पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव शक्तिकांत दास और दूसरे बड़े अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया वैश्विक महामारी कोविड 19 के बाद से विभिन्न संकटों से जूझ रही है। उन्हें आशा है कि दुनिया शीघ्र ही इन चुनौतियों से मुक्त होगी। विश्व समुदाय प्रगति की ओर सही रास्ते पर आगे बढ़ेगा तथा सहयोग का रास्ता अपनाएगा। राष्ट्रपति पुतिन को सच्चा मित्र और यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत शांति के पक्ष में है। भारत ने हमेशा शांति का पक्ष लिया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन ने समय-समय पर यूक्रेन के घटनाक्रम से अवगत कराया है। यूक्रेन संकट शुरु होने के बाद से ही दोनों देशों की बीच संपर्क बना हुआ है। एक मित्र के रूप में पुतिन ने उन्हें जानकारी दी है। यह विश्वास बहुत मायने रखता है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि विश्व में पुनःशांति कायम होगी। उन्होंने कहा कि शांति के जरिए ही विश्व कल्याण सुनिश्चित हो सकता है। हमें आपस में मिलकर शांति के रास्ते पर चलना चाहिए। हाल के दिनों के घटनाक्रम से उन्हें विश्वास है कि दुनिया शांति पर लौटेगी।
राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन संघर्ष का समाधान तलाशने में प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के लिए उनका धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस संकट के समाधान के लिए रूस अमेरिका और अन्य सहयोगी देशों के साथ मिलकर प्रयासरत हैं। समाधान के लिए भारत के पक्ष को सम्मान देते हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट की जड़े इतिहास में है। महत्व शब्दों का नहीं बल्कि वास्तविक ठोस उपायों का है।
वार्ता से पहले राष्ट्रपति पुतिन राजघाट गए जहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। राष्ट्रपति पुतिन ने अपने संदेश में लिखा कि महात्मा गांधी का दुनिया में शांति के लिए योगदान भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने बहुध्रुवीय विश्व की कल्पना की थी जो अब आकार ले रहा है। लियो टॉल्स्टॉय को लिखे अपने पत्रों में उन्होंने एक ऐसी दुनिया के भविष्य के बारे में विस्तार से सोचा जो तानाशाही और दबदबे से मुक्त हो और जो देशों के बीच समानता, आपसी सम्मान और सहयोग के सिद्धांतों पर आधारित हो। ये वही सिद्धांत और मूल्य हैं, जिन्हें रूस और भारत आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिलकर बनाए रखते हैं। रूसी राष्ट्रपति का आज नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औपचारिक स्वागत किया।
राष्ट्रपति पुतिन कल नई दिल्ली पहुंचे थे, जहां प्रधानमंत्री ने उनका एयरपोर्ट में स्वागत किया था। इसके बाद एक साक्षात्कार में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि भारत और रूस के बीच सहयोग न सिर्फ द्विपक्षीय संबंध मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक स्थिरता की नींव भी तैयार करता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक परिवर्तनों या यूक्रेन संकट जैसे हालात का भारत-रूस ऊर्जा सहयोग पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। तेल व्यापार और रिफाइनिंग सुचारु रूप से जारी है, और रूसी कंपनियां भारतीय भागीदारों को भरोसेमंद मानती हैं। पुतिन ने यह भी उल्लेख किया कि जब अमेरिका रूस से परमाणु ईंधन खरीद सकता है, तो भारत को इस अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और इस पर राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत की जा सकती है।

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