पांच साल में एक हजार शहरी केंद्रों का होगा डिजिटल मानचित्रण

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी ने कहा कि सरकार अगले पांच वर्षों में देश के एक हजार शहरी केंद्रों का व्यापक डिजिटल मानचित्रण करेगी और हाई-प्रिसीजन मैपिंग के जरिए शहरी भू-अभिलेखों को पूरी तरह सटीक बनाया जाएगा। आने वाले महीनों में 157 शहरों का उच्च-स्तरीय सर्वे पूरा कर लिया जाएगा, जिससे शासन, अवसंरचना विकास और डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
उन्होंने जियोस्मार्ट इंडिया 2025 के तीसरे दिन आयोजित सत्र में शहरी भूमि आधुनिकीकरण और भू-स्थानिक तकनीक पर राष्ट्रीय विशेषज्ञों की चर्चा में कहा कि भारत तेजी से एकीकृत और वास्तविक समय में उपलब्ध डिजिटल मैपिंग के दौर में प्रवेश कर रहा है।
जोशी ने कहा कि सभी राज्यों को इस अभियान से जोड़ा गया है और बड़े राज्यों में 10-10 पायलट शहर तथा छोटे राज्यों में 1–2 शहर चिन्हित किए गए हैं। पारंपरिक टेप-आधारित सर्वेक्षण अब प्रभावी नहीं है और संपत्ति लेन-देन पूरी तरह लैटीट्यूड-लॉन्गिट्यूड आधारित डिजिटल स्केच पर आधारित होना चाहिए। राजस्व विभागों को हाथ से बने नक्शों की जगह जीआईएस-लिंक्ड रजिस्ट्रेशन सिस्टम अपनाने की जरूरत है।
भूमि अभिलेख विभाग के संयुक्त सचिव कुणाल सत्यार्थी ने बताया कि सरकार 57 शहरों में प्रोकार्ड नामक एकीकृत स्वामित्व रिकॉर्ड तैयार करने के बड़े पायलट की शुरुआत कर रही है, जिसमें नगर निकाय टैक्स रिकॉर्ड, पंजीयन दस्तावेज और अन्य अभिलेखों को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जाएगा। भारत पहली बार ड्रोन, एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर की मदद से 5 सेंटीमीटर सटीकता वाली एरियल इमेज तैयार कर रहा है, जिससे सर्वेक्षण की रफ्तार कई गुना बढ़ी है। सत्यार्थी ने पर्वतीय राज्यों में मैपिंग की चुनौतियों का भी उल्लेख किया और कहा कि सरकार लिडार और उन्नत इमेजिंग तकनीक का उपयोग कर कठिन इलाकों में भी सटीक नक्शे तैयार कर रही है।
जियोस्पेशियल वर्ल्ड के सीईओ संजय कुमार ने कहा कि लोकेशन अब एक आर्थिक संपत्ति बन चुकी है और वन नेशन, वन मैप समय की जरूरत है। चौनौती मैपिंग नहीं, बल्कि अलग-अलग विभागों के डाटा को सामंजस्यपूर्ण बनाना है ताकि राष्ट्रीय योजनाओं के लिए विश्वसनीय भू-स्थानिक आधार तैयार किया जा सके।

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