दत्तक ग्रहण केवल वात्सल्य पोर्टल व सीएआरए की वैधानिक प्रक्रिया से ही वैध : नरेंद्र पाणिग्राही

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जगदलपुर{ गहरी खोज }: बाल कल्याण समिति (प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायपीठ), बस्तर जिला के अध्यक्ष नरेंद्र पाणिग्राही ने अवैध दत्तक ग्रहण की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए आज गुरुवार काे कहा कि जिले में कानून से विपरीत किसी भी प्रकार का दत्तक ग्रहण किसी भी स्थिति में वैधानिक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अवैध दत्तक ग्रहण बच्चों की खरीद-फरोख्त, तस्करी, शोषण और पहचान से छेड़छाड़ जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म देता है, जो बच्चों के मौलिक अधिकारों पर सीधा आघात है। उन्हाेने कहा कि प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह दत्तक ग्रहण संबंधी कानूनी व्यवस्था का पालन करे और समाज में सही प्रक्रिया के प्रति जागरूकता फैलाए । बच्चे राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं, उनका भविष्य, सुरक्षा और पहचान हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए ।
नरेंद्र पाणिग्राही ने स्पष्ट किया कि वैध दत्तक ग्रहण केवल वात्सल्य पोर्टल एवं सीएआरए (केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) की निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से ही संभव है। यह प्रणाली पारदर्शी, सुरक्षित और बच्चे तथा दत्तक ग्रहणकर्ता—दोनों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए विशेष रूप से बनाई गई है। उन्होंने बताया कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 (संशोधित 2021) के तहत अवैध दत्तक ग्रहण करने पर तीन वर्ष तक का कारावास, एक लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल के कई मामलों में उन दत्तक विलेखों को निरस्त किया है, जिनमें सीएआरए की अनुमति, जैविक माता-पिता की विधिक सहमति या अनिवार्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि अवैध दत्तक ग्रहण कई गंभीर समस्याओं को जन्म देता है, जैसे बच्चे की पहचान व जन्म संबंधी दस्तावेजों का गायब या अवैध हो जाना, शोषण, घरेलू हिंसा या तस्करी का जोखिम, स्कूल, स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी योजनाओं में बच्चे के अधिकारों का बाधित होना। भविष्य में दत्तक माता-पिता के साथ कानूनी विवाद या दत्तक प्रक्रिया के निरस्तीकरण की संभावना को भी बढ़ाती है। जिससे बच्चे के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
नरेंद्रपाणिग्राहीने बताया कि बाल कल्याण समिति और जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा अवैध दत्तक ग्रहण पर सतत निगरानी रखी जा रही है। उन्हाेने नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि यदि आस-पास किसी संदिग्ध गतिविधि, अनधिकृत दत्तक सौदे, या बच्चों को बिना प्रक्रिया के सौंपने की जानकारी मिले, तो तत्काल बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्डलाइन 1098 या निकटतम पुलिस स्टेशन में सूचना दें।
नरेंद्र पाणिग्राही ने आगे कहा कि दत्तक ग्रहण एक पवित्र और मानवीय प्रक्रिया है, लेकिन यह तभी सफल और सुरक्षित है, जब यह कानूनन सही तरीके से किया जाए। अवैध दत्तक ग्रहण किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं की जाएगी। नागरिकों से अपील करते हैं कि दत्तक ग्रहण हमेशा वात्सल्य पोर्टल और सीएआरए की वैधानिक प्रक्रिया के तहत ही किया जाए, इसी से बच्चे का भविष्य सुरक्षित रहेगा।

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