मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा 4 या 5 दिसंबर? नोट कर लें सही तारीख और मुहूर्त
धर्म { गहरी खोज } :मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। इसे अगहन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गीता में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि- ‘मासानां मार्गशीर्षोऽयम्’ अर्थात् मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं। वैसे तो किसी भी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है, लेकिन मार्गशीर्ष के दौरान भगवान विष्णु के कृष्ण स्वरूप की पूजा का अधिक महत्व है। अतः इस पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ ही उनके स्वरूप भगवान श्री कृष्ण की भी उपासना करनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन चंद्रदेव की उपासना भी करनी चाहिए। मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को ‘बत्तीसी पूर्णिमा’ या ‘बत्तीसी पूनम’ के नाम से भी जाना जाता है ।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन किये गये दान पुण्य का व्यक्ति को 32 गुणा फल प्राप्त होता है, यानि कम मेहनत में अधिक फायदा। अतः अगर आप भी कम मेहनत में अधिक फल पाना चाहते हैं, तो इस दिन आपको कुछ-न-कुछ जरुर दान करना चाहिये।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2025
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 4 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 4 दिसंबर की सुबह 08:37 से 5 दिसंबर की सुबह 04:43 बजे तक रहेगा। तो वहीं इस दिन चंद्रोदय समय शाम 04:35 बजे का है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत विधि
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है इसलिए इस दिन प्रातःकाल उठकर भगवान का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
- ओम नमोः नारायण कहकर भगवान का आह्वान करें और विधि विधान पूजन करें।
- पूजा स्थल पर वेदी बनाएं और हवन के लिए उसमे अग्नि जलाएं।
- हवन करने के बाद भगवान का ध्यान करते हुए उन्हें श्रद्धापूर्वक व्रत अर्पण करें।
- पूरे दिन अन्न का सेवन न करें।
- जब चंद्रमा निकल जाए तो चंद्र देव की विधि विधान पूजा करें।
- रात में भगवान नारायण की प्रतिमा के पास ही शयन करें।
- व्रत के अगले दिन जरुरतमंदों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर उन्हें सम्मान के साथ विदा करें।
