अयोध्या में लहराया धर्म ध्वज
संपादकीय { गहरी खोज }: अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लहराए गए धर्म ध्वज के साथ ही देश विदेश में बैठे करोड़ों की संख्या में राम भक्तों तथा सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों की सदियों की जो कामना थी वह पूर्ण हो गई। अयोध्या भारत की विरासत, परम्परा, सांस्कृतिक इतिहास तथा धार्मिक मूल्यों की प्रतीक है। राम सनातन संस्कृति के केन्द्र बिन्दू हैं। इसी कारण अयोध्या भारत का स्वाभिमान है। भारत के इस स्वाभिमान को आहत करने का जो प्रयास मुगलों ने किया था। राम मंदिर पर धर्म ध्वजा लहराने के साथ एक बार फिर वह स्वाभिमान स्थापित हो गया है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य स्वतंत्रता मिलने के तत्काल बाद ही हो जाना चाहिए था लेकिन धर्म निरपेक्षता के नाम पर गुलाम मानसिकता की निशानियों को बनाए रखने का कार्य एक योजनाबद्ध तरीके से जारी रहा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर पर धर्मध्वजा लहराने के बाद कहा कि हमें गुलामी की सभी निशानियों को मिटाना होगा।
अयोध्या में सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ‘मैकाले के मिनट’ का उल्लेख किया और कहा कि 2035 इसकी 200वीं सालगिरह होगी। उन्होंने कहा, ‘हमें आजादी मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं।’ उन्होंने कहा कि देश को ‘गुलाम मानसिकता’ की ब्रिटिश-युग की विरासत से मुक्त होना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने लोक सभा चुनाव से पहले 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी। उन्होंने कहा कि सदियों के ‘घाव और दर्द’ भर रहे हैं, क्योंकि 500 साल पुराना संकल्प अंततः राम मंदिर के औपचारिक निर्माण के साथ पूरा हो रहा है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 22 गुणा 11 फुट का भगवा ध्वज मोटे नायलॉन की रस्सी के साथ पैराशूट-ग्रेड कपड़े से बना है। इसे 161 फुट के शिखर पर लगाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह धर्मध्वज केवल ध्वज नहीं, यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है। इसका भगवा रंग इस पर रचित सूर्यवंश की ख्याति, वर्णित ओम शब्द व अंकित कोविदार वृक्ष रामराज्य की कीर्ति को प्रतिरूपित करता है। अयोध्या में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में ध्वजारोहण किया।
5 अगस्त, 2020 को भागवत की उपस्थिति में राम मंदिर परिसर की आधारशिला रखने वाले मोदी ने कहा, ‘आज पूरा राष्ट्र और दुनिया राम में डूबी हुई है। सदियों पुराने घाव भर रहे हैं, सदियों पुराना दर्द दूर हो रहा है, क्योंकि 500 वर्षों का संकल्प आखिरकार पूरा हो गया है।’
उन्होंने लोगों से अपने भीतर के राम को जगाने का आग्रह किया क्योंकि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में काम कर रहा है। मोदी ने यह भी कहा कि औपनिवेशिक युग की विकृतियों के कारण यह धारणा बनी कि भारत ने विदेश से लोकतंत्र उधार लिया है। उन्होंने कहा,’ भारत लोकतंत्र की जननी है। यह हमारे डीएनए में है।’ उन्होंने तमिलनाडु में एक हजार साल पुराने शिलालेख का हवाला दिया, जो लोकतांत्रिक प्रथाओं का दस्तावेजीकरण करता है। मोदी ने 21वीं सदी की अयोध्या के बारे में भी बात की, जो दुनिया को विकास का नया मॉडल दे रही है। जातियों में हिंदुओं की एकता को रेखांकित करने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या में सात मंदिरों का निर्माण किया गया है, जिनमें माता शबरी का मंदिर, निषादराज का मंदिर, महर्षि वाल्मीकि और अन्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये मंदिर हमारे विश्वास को मजबूत करने के साथ-साथ, दोस्ती, कर्तव्य और सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को भी सशक्त बनाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या में भव्य एयरपोर्ट, शानदार रेलवे स्टेशन हैं। वंदे भारत-अमृत भारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें अयोध्या को देश की अन्य जगहों से जोड़ रही है। अयोध्यावासियों को सुविधाएं मिले, उनके जीवन में समृद्धि आए, इसके लिए निरंतर कार्य चल रहा है। विकास के पैमाने में अयोध्या कभी बहुत पीछे थी, लेकिन आज उत्तर प्रदेश के अग्रणी शहरों में एक है। भविष्य की अयोध्या में पौराणिकता व नूतनता का संगम होगा, जहां सरयू जी की अमृत धारा व विकास धारा एक साथ बहेगी। यहां अध्यात्म व आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का तालमेल दिखेगा।
अयोध्या का मतलब है जिसे शत्रु न जीत सके। युद्ध का अर्थ हम सभी जानते हैं। योध्य का मतलब जिससे युद्ध किया जा सके। मनुष्य उसी से युद्ध करता है, जिससे जीतने की संभावना रहती है। यानी अयोध्या के मायने जिसे जीता न जा सके। पर अयोध्या के संघर्ष को देखें तो हर आक्रांता ने पहले अयोध्या को ही जीतने की कोशिश की। ताकि हमारी मनोदशा में गुलामी, पराधीनता और अन्याय की ग्रंथियां बने।
अथर्ववेद में लिखा है कि देवताओं द्वारा बनाई गई अयोध्या स्वर्ग के समान है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार इसे मनु ने बसाया था। इतिहास की किताबों में इस बात का जिक्र है कि अयोध्या कौशल महाजनपद की राजधानी थी। उस वक्त भारत में 16 महाजनपद थे। जिसमें कौशल एक बड़ा और समृद्ध महाजनपद था, अयोध्या उसकी राजधानी थी। इसका समय ईसा से 500-600 साल पहले माना जाता है। पाणिनि का व्याकरण पुराना ग्रंथ है। इसमें भी अयोध्या का जिक्र है। कालिदास, का रघुवंशम् तो राम की कहानी का है। इसलिए उसमें अयोध्या का जिक्र कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन तथ्य यही है कि राम कालिदास के काल में भी पूज्य थे और अयोध्या एक पवित्र नगरी के रूप में स्थापित थी।
देश 1947 में स्वतंत्र हुआ 2047 तक हम मानसिक गुलामी से आजाद हो हर भारतीय का यही जीवन लक्ष्य और संकल्प होना चाहिए। यह संकल्प तभी पूरा होगा जब गुलामी मानसिकता से मुक्त होगी।
