हेराल्ड केस FIR ‘राजनीतिक प्रतिशोध’, न्यायपालिका सच सामने लाएगी: कांग्रेस

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: कांग्रेस ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड केस में दर्ज नई FIR को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि उसे विश्वास है कि न्यायपालिका इस “राजनीतिक प्रतिशोध और बेमतलब की परेशानियों” को उजागर कर देगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 12 साल पुराने मामले में अचानक गांधी परिवार को निशाना बनाते हुए नई FIR दर्ज की गई है।
“क्योंकि मोदी सरकार और ED के पास अब नए आरोपों का स्टॉक खत्म हो चुका है। जब तथ्य कम पड़ गए तो नाटकीयता शुरू हो गई—चुनिंदा अभियोजन, पुराने आरोपों को नया रूप देना और विपक्ष को घेरे रखने का प्रयास।” उन्होंने आगे लिखा, “हमें पूरा विश्वास है कि न्यायपालिका इस राजनीतिक प्रतिशोध और बिना वजह की प्रताड़ना को समझ जाएगी।” कांग्रेस ने सोमवार को भी FIR को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए इसे “उत्पीड़न” और सरकार की असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की रणनीति बताया था। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों से कहा था कि ED और भाजपा सरकार “ऐसे अपराध गढ़ने के लिए नोबेल पुरस्कार” की हकदार है, जो हुए ही नहीं। उन्होंने इस कार्रवाई को देश की बड़ी समस्याओं—गिरती अर्थव्यवस्था, बेरोज़गारी और “विफल” विदेश नीति से ध्यान हटाने का तरीका बताया।
कांग्रेस का यह हमला उस समय आया है जब दिल्ली पुलिस ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कई आरोपियों के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में ED की शिकायत पर FIR दर्ज की है। ED ने आरोप लगाया है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अपने पदों का “दुरुपयोग” कर निजी लाभ लिया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 3 अक्टूबर को गांधी परिवार और सात अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज की।
FIR में IPC की धारा 120B (आपराधिक साजिश), 403 (चल संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग), 406 (विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप लगाए गए हैं। FIR में गांधी परिवार, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, यंग इंडियन (YI), डोटेक्स मर्चेंडाइज लिमिटेड, इसके प्रमोटर सुनील भंडारी, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और अन्य अज्ञात व्यक्तियों को नामित किया गया है। ये सभी (अज्ञात को छोड़कर) ED द्वारा अप्रैल में दायर चार्जशीट में भी आरोपी हैं, जिस पर अदालत 16 दिसंबर को अगली सुनवाई में संज्ञान लेगी। सूत्रों के अनुसार, ED ने इस FIR को दर्ज कराने के लिए PMLA की धारा 66(2) का उपयोग किया, जिसके तहत जांच एजेंसी सबूत साझा कर सकती है ताकि पुलिस द्वारा मूल अपराध का केस दर्ज किया जा सके और आगे मनी लॉन्ड्रिंग जांच बढ़ाई जा सके।

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