राधाकृष्णन ने राज्यसभा सदस्यों से संसदीय मर्यादा की ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन करने की अपील की
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: राज्यसभा के नवनियुक्त सभापति सी. पी. राधाकृष्णन ने सोमवार को अपने प्रथम संबोधन में सदस्यों से संविधान प्रदत्त मर्यादाओं का पालन करने और संसदीय आचरण की ‘लक्ष्मण रेखा’ का सम्मान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उच्च सदन के पास व्यापक कार्यसूची है, और समय प्रबंधन सदस्य तथा सभापति—दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
राधाकृष्णन ने कहा, “अध्यक्ष हों या सदस्य — हम सभी को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का बोध होना चाहिए। भारत का संविधान और राज्यसभा की नियमावली संसदीय संवाद की लक्ष्मण रेखा निर्धारित करते हैं। प्रत्येक सदस्य का अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए, लेकिन उस लक्ष्मण रेखा के भीतर। मैं आपके सभी उचित दावों की रक्षा करने का पूरा प्रयास करूँगा।” शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन में मिले सम्मान के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल, शून्यकाल और विशेष उल्लेख जैसी संसदीय परंपराएँ हर सदस्य को जनता के मुद्दे उठाने के लिए पर्याप्त अवसर देती हैं।
राधाकृष्णन ने कहा, “हम सबको संकल्प लेना होगा कि सदन के भीतर हमारा आचरण हर किसान, हर मजदूर, हर रेहड़ी-पटरी वाले, हर महिला, नौजवान और देश के सबसे गरीब व्यक्ति की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करे, जो इस संसद से बहुत उम्मीदें रखते हैं।” उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य कमजोर वर्गों के सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तीकरण के संवैधानिक दायित्व को पूरा करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
