हालिया पंजाब बाढ़ खराब जलाशय प्रबंधन से नहीं बढ़ीं: केंद्र

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: जल शक्ति मंत्रालय ने सोमवार को स्पष्ट किया कि पंजाब में हालिया बाढ़ भाखड़ा और पोंग जैसे प्रमुख बांधों के खराब जलाशय प्रबंधन के कारण नहीं बढ़ीं। मंत्रालय ने कहा कि इस वर्ष कैचमेंट क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा के चलते असामान्य रूप से भारी जलप्रवाह हुआ, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई। राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बताया कि 2025 में पोंग और भाखड़ा में जलप्रवाह क्रमशः 3,49,522 क्यूसेक और 1,90,603 क्यूसेक तक पहुंच गया। इसके चलते नियमावली, बांध सुरक्षा मानकों और सतलुज-ब्यास नदियों की सीमित वहन क्षमता के अनुरूप नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ा गया।
उन्होंने जोर देकर कहा, “पंजाब में हालिया बाढ़ पोंग और भाखड़ा बांधों में खराब जलाशय प्रबंधन के कारण नहीं बढ़ीं,” और जोड़ा कि जलाशय संचालन का उद्देश्य अधिकतम बाढ़ नियंत्रण और उसके अवशोषण को सुनिश्चित करना था। मंत्री ने बताया कि पानी छोड़ने का निर्णय एक तकनीकी समिति द्वारा लिया जाता है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, केंद्रीय जल आयोग और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि मानसून से पहले पर्याप्त बफर लेवल बनाए रखे गए थे और पानी छोड़ने से कम से कम 24 घंटे पहले अग्रिम सूचना दी गई थी। यह पूछे जाने पर कि क्या किसी एजेंसी को बफर लेवल बनाए न रखने के लिए जिम्मेदार पाया गया, सरकार ने कहा कि मानसून से पहले जल स्तर औसत दायरे में थे और “आवश्यक बफर संग्रहण उपलब्ध था।” निवारक उपायों के बारे में बताते हुए मंत्रालय ने कहा कि तटबंधों और निकासी प्रणालियों को मजबूत करना राज्यों की जिम्मेदारी है और वे इसे अपनी आवश्यकता व प्राथमिकता के आधार पर करते हैं।
मंत्रालय ने बताया कि डैम सेफ्टी एक्ट, 2021 के तहत राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण ने हर तीन घंटे में हाइड्रोलॉजिकल डेटा के रियल-टाइम साझा करने को अनिवार्य किया है और कास्केडिंग बांधों के समन्वित संचालन के निर्देश दिए हैं। स्वीकृत रूल कर्व्स का कड़ाई से पालन और बाढ़ की अधिक अवधि में निगरानी बढ़ाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं। केंद्र ने कहा कि अगस्त 2025 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को फ्लड प्लेन ज़ोनिंग पर तकनीकी दिशानिर्देश भेजे गए हैं, ताकि बाढ़ प्रबंधन के लिए गैर-संरचनात्मक उपायों को बढ़ावा दिया जा सके। डैम से पानी छोड़ने के लिए संयुक्त नियंत्रण तंत्र के सवाल पर मंत्रालय ने बताया कि ऐसा तंत्र पहले से मौजूद है। तकनीकी समिति में केंद्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं और बांध संचालन को संयुक्त रूप से नियंत्रित करते हैं।

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