नागालैंड की आदिवासी विविधता और अनोखी विरासत गर्व का स्रोत: राष्ट्रपति

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज सोमवार को नागालैंड के लोगों को उनके राज्य दिवस पर शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में राष्ट्रपति मुर्मु ने नागालैंड के लोगों के उज्ज्वल, समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य की कामना की। राष्ट्रपति मुर्मु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “नागालैंड के लोगों को राज्य स्थापना दिवस पर हार्दिक बधाई। समृद्ध संस्कृति और बेशुमार प्राकृतिक सुंदरता से धन्य, नगालैंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट में लगातार सराहनीय प्रगति कर रहा है। इसकी आदिवासी विविधता और अनोखी विरासत गर्व का स्रोत बनी हुई है। मैं नगालैंड के लोगों के उज्ज्वल, समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य की कामना करती हूं।”
वहीं, प्रदेश के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने राज्य के लोगों को हार्दिक बधाई दी। राज्यपाल ने शांति, विकास और एकता के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता का आह्वान किया। भल्ला ने समावेशी विकास, बेहतर कनेक्टिविटी, पारदर्शी शासन और सभी के लिए अवसरों के विस्तार पर सरकार के दृष्टिकोण की पुष्टि की। उन्होंने शांति को पोषित करने, युवाओं को सशक्त बनाने, परंपराओं की रक्षा करने और एक जीवंत नागालैंड बनाने की साझा जिम्मेदारी पर बल दिया।
इसके अलावा मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने भी सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं दी। उन्होंने एक समृद्ध, समावेशी और टिकाऊ नागालैंड के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। नागालैंड को 1 दिसंबर 1963 को आधिकारिक तौर पर एक अलग राज्य के तौर पर मान्यता दी गई थी और कोहिमा को इसकी राजधानी घोषित किया गया था। वर्ष 1947 में भारत की आजादी के बाद नगा इलाका असम का हिस्सा बना रहा, लेकिन जल्द ही एक मजबूत राष्ट्रवादी आंदोलन शुरू हो गया, जिसमें नागा जनजातियों की राजनीतिक एकता की मांग की गई और कट्टरपंथी ग्रुप भारतीय संघ से पूरी तरह अलग होने की मांग कर रहे थे। 1957 में असम के नगा हिल्स इलाके और तुएनसांग फ्रंटियर डिवीजन को भारत सरकार के सीधे नियंत्रण में एक ही एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट में मिला दिया गया। 1960 तक यह तय हो गया था कि नागालैंड भारतीय संघ का एक हिस्सा बनेगा। नागालैंड को 1963 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और अगले साल लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार ने कार्यालय संभाला। राज्य दिवस के जश्न के साथ ही दस दिन का हॉर्नबिल फेस्टिवल एक बार फिर शुरू हुआ, जिसमें सभी बड़े नगा कबीले लोकगीत, संगीत, क्राफ्ट और खाने के जरिए अपनी जीती-जागती परंपराओं को दिखाने के लिए एक साथ आए।

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