आईटीबीपी और छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा स्थापित लंका सीओबी से एक और इलाके से नक्सली प्रभुत्व का सफाया

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अबूझमाड़{ गहरी खोज } : भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अबूझमाड़ के अभेद्य क्षेत्र में एक साल लंबे रणनीतिक अभियान को पूरा करते हुए नक्सली विद्रोहियों को करारा झटका दिया है। सुरक्षा बलों ने उनकी अंतिम बड़ी अंतरराज्यीय आवाजाही गलियारे (गलियारा) को पूरी तरह सील कर दिया है।
यह नवीनतम सफलता 28 नवंबर को लंका कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) की स्थापना है। यह नारायणपुर से 135 किलोमीटर दूर है और तीन महीने से भी कम समय में आईटीबीपी और छत्तीसगढ़ पुलिस (सीजीपी) द्वारा खोला गया नौवाँ ऐसा शिविर है।
ओरछा-लंका क्षेत्र के साथ इस बेहतरीन पहुँच ने इलाके के पूर्व के नक्सली गढ़ समझे जाने वाले एरिया में अभूतपूर्व प्रभुत्व हासिल कर लिया है।लंका सीओबी में आईटीबीपी की 44वीं बटालियन, सीजीपी और डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के जवान तैनात हैं, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली सीमा से सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर रणनीतिक रूप से स्थित है। यह प्रभावी रूप से एक महत्वपूर्ण दक्षिण-पूर्वी अक्ष पर स्थापित है, जिससे नक्सलियों को उनके केंद्रीय गढ़ को गढ़चिरौली, बीजापुर (छत्तीसगढ़) और तेलंगाना से जोड़ने वाली आवाजाही और आपूर्ति श्रृंखला से वंचित कर दिया गया है।
इस साल बरसात की मुश्किल परिस्थितियों में भी एडजुम, जाट्लूर, और पदमेटा जैसे स्थानों पर गहरे जंगल के इलाकों में प्रभुत्व स्थापित करने का यह अभियान, क्षेत्र में नक्सलियों की उपस्थिति को निष्क्रिय करने का एक निरंतर संकल्प रहा है। इस दबाव का प्रभाव हाल की सफल कार्रवाईयों से और बढ़ गया है। दरअसल इन नए स्थापित सीओबी में से एक के पास ही बोटेर हिल पर वरिष्ठ नक्सली नेता बसवाराजू एक मुठभेड़ में मारा गया था।
ऐसी अग्रिम कार्रवाई की नींव 2025 की शुरुआत में नारायणपुर-नेलंगुर रोडको महाराष्ट्र के लाहेरी क्षेत्र से जोड़ने के साथ रखी गई थी। इस प्रारंभिक अभियान में मोहंडी, कोड्लियार और पदमकोट समेत आधा दर्जन चौकियों की स्थापना की गई थी, जिसने सफलतापूर्वक कुतुल, जिसे लंबे समय से अबूझमाड़ में नक्सली गतिविधियों की ‘राजधानी’ माना जाता था, उसको सुरक्षा घेरे में ला दिया।
आईटीबीपी द्वारा इन शिविरों के खोले जाने से सैकड़ों नक्सलियों और उनके समर्थकों ने आत्मसमर्पण किया है, जो क्षेत्र में नक्सलियों के कमांड और नियंत्रण ढांचे के धराशायी का संकेत है।
इंद्रावती नदी के उत्तर में 6 किमी दूर, लंका में इस पुलिस कैम्प की स्थापना एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा प्रदान करने वाले केंद्र के रूप में कार्य करती है। इसकी उपस्थिति से महत्वपूर्ण, लंबे समय से रुके हुए बेड्रे पुल के निर्माण में तेजी आने की उम्मीद है, जिससे ओरछा-लंका रोड स्थानीय जानता के लिए एक नई जीवनरेखा में बदल जाएगा। यह सुरक्षा उपस्थिति नागरिक प्रशासन के लिए एक सीधा मार्ग है, जो दूर-दराज के आदिवासी गांवों में लंबे समय से अनुपस्थित सरकारी सेवाओं, मसलन स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली को पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त करती है। स्थानीय आबादी ने विश्वास व्यक्त करते हुए आईटीबीपी का स्वागत किया है कि यह उन्नति अंततः इस कटे हुए क्षेत्र में विकास और समृद्धि लाएगी।

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