मन की बात : पीएम मोदी ने की इसरो की ड्रोन प्रतियोगिता में शामिल जेन-जी के प्रयासों को सराहा

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को प्रसारित अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 128वें एपिसोड में इसरो की एक अनोखी ड्रोन प्रतियोगिता का जिक्र किया। पीएम ने प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले युवाओं, विशेषकर जेन-जी की कोशिशों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जब भी वे युवाओं का उत्साह और वैज्ञानिकों का समर्पण देखते हैं, उनका मन उत्साह से भर जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो ने उनका ध्यान खींचा, जिसमें युवा मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों में ड्रोन उड़ाने की चुनौती स्वीकार कर रहे थे।
पीएम मोदी ने कहा कि मंगल ग्रह पर जीपीएस उपलब्ध नहीं होता, इसलिए इस प्रतियोगिता में ड्रोन को केवल अपने कैमरे और इनबिल्ट सॉफ्टवेयर की मदद से दिशा, ऊंचाई और बाधाओं का पता लगाना था। यही वजह थी कि कई ड्रोन संतुलन खोकर गिरते हुए दिखाई दिए। उन्होंने समझाया कि ड्रोन को जमीन के पैटर्न पहचानकर ऊंचाई मापनी होती है, बाधाओं को समझना होता है और फिर खुद ही सुरक्षित उतरने का रास्ता ढूंढना होता है। इन कठिन परिस्थितियों में बार-बार असफल होना स्वाभाविक था।
प्रधानमंत्री ने बताया कि वीडियो में पुणे के युवाओं की एक टीम भी दिखाई दी, जिनका ड्रोन कई बार असफल होने के बाद आखिरकार कृत्रिम मंगल परिस्थितियों में थोड़ी देर तक उड़ान भरने में सफल रहा। उन्होंने कहा कि इन युवाओं की कोशिश उन्हें चंद्रयान-2 की असफलता और उसके बाद चंद्रयान-3 की सफलता की याद दिलाती है, जब वैज्ञानिकों ने निराशा के बावजूद तुरंत नए मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी।
पीएम मोदी ने कहा कि वीडियो में दिख रहे युवाओं की आंखों में उन्हें वही दृढ़ता और चमक दिखाई देती है, जो वर्षों से भारतीय वैज्ञानिकों में दिखाई देती रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि युवाओं का यही जुनून, जिज्ञासा और समर्पण विकसित भारत की सबसे बड़ी ताकत है और देश को आगे ले जाने वाली प्रेरणा है।

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