राजनीति अब अर्थव्यवस्था पर हावी, बदल रही वैश्विक व्यवस्था : विदेश मंत्री

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि आज की दुनिया में राजनीति तेजी से अर्थव्यवस्था पर हावी हो रही है और इसका असर वैश्विक व्यवस्था पर साफ दिखाई देता है। वे बीते शनिवार को आईआईएम कोलकाता के जोका कैंपस में मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिलने के बाद छात्रों और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। जयशंकर ने कहा कि यह समय ऐसा है, जब आर्थिक मुद्दों से ज्यादा राजनीतिक फैसले दुनिया की दिशा तय कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका अब पुराने अंतरराष्ट्रीय ढांचे की जगह अपने नए नियमों के आधार पर देशों के साथ सीधे द्विपक्षीय संबंध बना रहा है। वहीं चीन लंबे समय से अपने नियम तय करता आया है और अब इस प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। ऐसी स्थिति में बाकी देशों के सामने यह बड़ी चुनौती है कि वे अमेरिका-चीन की प्रतिस्पर्धा पर ध्यान दें या इन दोनों देशों के बीच होने वाले समझौतों और बदलते रिश्तों पर।
जयशंकर ने कहा कि आज वैश्वीकरण पर दबाव है, सप्लाई चेन असुरक्षित हो रही है और कई देश अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए नए रास्ते खोज रहे हैं। देश अमेरिका और चीन दोनों के साथ संबंध बनाए रखते हैं, लेकिन तभी खुले तौर पर पक्ष लेते हैं जब उन्हें उससे स्पष्ट लाभ मिलता है। इसी कारण दुनिया में अलग-अलग क्षेत्रों के बीच मुक्त व्यापार समझौतों के प्रति रुचि तेजी से बढ़ रही है।
उन्होंने बताया कि दुनिया के लगभग एक-तिहाई उत्पाद अभी भी चीन में बनते हैं, इसलिए सप्लाई चेन में स्थिरता और भरोसे की जरूरत पहले से ज्यादा है। युद्ध, विवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों ने सप्लाई चेन पर खतरा और बढ़ा दिया है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आया है-अमेरिका अब बड़े आयातक से बदलकर फॉसिल फ्यूल का बड़ा निर्यातक बन गया है, जबकि चीन नवीकरणीय ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है।
व्यापार विवादों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि टैरिफ में लगातार बदलाव ने वैश्विक व्यापार को अस्थिर बना दिया है, जबकि वित्तीय क्षेत्र में संपत्तियों की जब्ती, प्रतिबंध और ब्लॉकचेन तकनीक ने नई वास्तविकताएं पैदा कर दी हैं। ऐसे समय में भारत का ‘मेक इन इंडिया’ अभियान इन चुनौतियों से निपटने का एक बड़ा समाधान है।
उन्होंने कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय क्षमता को बढ़ाकर, कमजोरियां कम करके और वैश्विक प्रभाव को बढ़ाकर इन बदलावों का सामना कर रहा है। जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, वह वैश्विक स्तर पर अधिक जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक मजबूत देश के लिए औद्योगिक क्षमता बेहद जरूरी है, और यह बात 2014 से पहले नीति-निर्माण में उतनी गंभीरता से नहीं ली गई थी।
जयशंकर ने कहा कि पिछले दशक में ‘मेक इन इंडिया’ पर दिया गया जोर भारत की सोच में आए बदलाव को दर्शाता है। जैसे-जैसे यह अभियान आगे बढ़ेगा, ‘रिसर्च इन इंडिया,’ ‘इनोवेट इन इंडिया’ और ‘डिजाइन इन इंडिया’ जैसे प्रयास भी मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि एक अनिश्चित वैश्विक माहौल में सप्लाई स्रोतों को विविध बनाना जरूरी है, ताकि देश की जरूरतें बिना रुकावट पूरी होती रहें। भारत नई कनेक्टिविटी और नए व्यापार समझौतों पर तेजी से काम कर रहा है, जो दुनिया के भारत के प्रति बढ़ते भरोसे को दिखाता है।

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