विकसित भारत का सपना प्रकृति संरक्षण, अध्यात्म और राष्ट्रसेवा के समन्वय से ही साकार होगा : प्रधानमंत्री मोदी

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गोवा{ गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि विकसित भारत का सपना तभी पूरा हो सकता है, जब हम पर्यावरण की रक्षा को अपना कर्तव्य मानें। धरती हमारी माता है और मठ की शिक्षाएं हमें प्रकृति का सम्मान करना सिखाती हैं। प्रधानमंत्री गोवा में श्रीसंस्थान गोकर्ण पर्तगली जीवोत्तम मठ की 550वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित ‘सार्ध पंचशतामनोत्सव’ को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भगवान श्रीराम की 77 फीट ऊंची कास्य प्रतिमा तथा रामायण थीम पार्क गार्डन का उद्घाटन किया। इसके अलावा एक विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का भी जारी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जिन 550 वर्षों का उत्सव मठ मना रहा है, वे केवल समय की अवधि नहीं हैं, बल्कि एक ऐसी यात्रा का प्रतीक हैं जिसने कठिन चुनौतियों के बावजूद अपनी दिशा नहीं खोई। उन्होंने कहा कि बीते 550 वर्षों में युग बदले, परिस्थितियां बदलीं, समाज में अनेक उतार-चढ़ाव आए, लेकिन मठ ने अपनी मूल दिशा को स्थिर रखा और लोगों को मार्गदर्शन देने वाले संस्थान के रूप में उभरा। यही इसकी सबसे बड़ी शक्ति है।
उन्होंने याद दिलाया कि ऐसे भी दौर आए, जब गोवा की स्थानीय परंपराओं, मंदिरों और सांस्कृतिक पहचान को संकटों का सामना करना पड़ा। भाषा और संस्कृति पर दबाव बढ़ा। लेकिन गोवा की आत्मा न तो डरी और न ही कमजोर हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन चुनौतियों ने समाज को और दृढ़ बनाया और उसकी सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित किया। पर्तगली मठ जैसे संस्थानों ने इसमें ऐतिहासिक योगदान दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत अद्भुत सांस्कृतिक पुनर्जागरण का साक्षी है। अयोध्या में राम मंदिर का पुनर्स्थापन, काशी विश्वनाथ धाम का विस्तार और उज्जैन में महाकाल महालोक की भव्यता—ये सब राष्ट्र की उस जागरूकता के प्रतीक हैं, जो अपनी आध्यात्मिक धरोहर को नई ऊर्जा के साथ पुनर्जीवित कर रही है। उन्होंने कहा कि आज का भारत अपनी सांस्कृतिक पहचान को नए आत्मविश्वास और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ा रहा है।
उन्होंने भगवान श्रीराम की 77 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि तीन दिन पहले मुझे अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराने का सौभाग्य मिला और आज यहां प्रभु श्रीराम की भव्य मूर्ति का अनावरण करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि रामायण-आधारित थीम पार्क और यहां विकसित हो रहा संग्रहालय भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के स्थायी केंद्र बनेंगे। आधुनिक तकनीक से सुसज्जित 3डी थिएटर और विविध सांस्कृतिक प्रदर्शनों से मठ अपनी परंपरा को संरक्षित करते हुए नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर विकसित भारत के लिए नौ आग्रह प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि नागरिकों को जल संरक्षण, वृक्षारोपण, स्वच्छता, स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग, देश दर्शन, प्राकृतिक खेती, श्रीअन्न (मिलेट्स) को भोजन में शामिल करने, खाने में तेल की मात्रा 10 प्रतिशत कम करने तथा खेल–योग अपनाने जैसे संकल्पों को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों की सहायता करना भी हर नागरिक का दायित्व है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मठ हमारे इन आग्रहों को जन-संकल्प में बदलने की प्रेरक शक्ति बन सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि देश दर्शन हमें भारत के विभिन्न हिस्सों को जानने और समझने के लिए प्रेरित करता है। हम प्राकृतिक खेती को अपनाएं। हम मिलेट्स को अपने भोजन का हिस्सा बनाएं और तेल की खपत को 10 प्रतिशत कम करें। स्वस्थ जीवनशैली विकसित भारत के निर्माण की अनिवार्य शर्त है।
मोदी ने कहा कि विकसित भारत 2047 का जो राष्ट्रीय विजन है, उसमें पर्यटन का महत्वपूर्ण स्थान है, और गोवा इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारत आज निर्णायक दौर से गुजर रहा है—देश की युवा शक्ति, बढ़ता आत्मविश्वास और सांस्कृतिक जड़ों के प्रति सम्मान मिलकर नए भारत की नींव रख रहे हैं। उन्होंने कहा, “विकसित भारत का हमारा संकल्प तभी साकार होगा जब अध्यात्म, राष्ट्रसेवा और विकास की तीनों धाराएं साथ-साथ प्रवाहित हों। गोवा की भूमि और यह मठ इसी दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मठ ने केवल धर्म की रक्षा नहीं की, बल्कि इंसानियत और संस्कृति को भी संरक्षित रखा। समय के साथ मठों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है। शिक्षा, छात्रावास, सामाजिक उत्थान—हर क्षेत्र में ये संस्थान समाज के लिए कल्याणकारी शक्ति के रूप में कार्यरत हैं।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना तभी पूरा होगा जब हम प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं, बल्कि सहयोग का मार्ग अपनाएं। पर्यावरण संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है और इसे हम सभी को अपने जीवन में उतारना होगा। प्रधानमंत्री के अनुसार, धरती माता की रक्षा करना वर्तमान के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत आने वाले वर्षों में सांस्कृतिक चेतना, पर्यावरणीय नेतृत्व और आधुनिक विकास—तीनों का संतुलित मॉडल प्रस्तुत करके विश्व को नई दिशा देगा।

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