‘वसुधैव कुटुम्बकम’ आज के संकटपूर्ण विश्व में और भी प्रासंगिक: मुर्मू
लखनऊ { गहरी खोज }: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि आज के अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियों के बीच, ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (सारा संसार एक परिवार है) का प्राचीन दर्शन पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। मुर्मू यह बात ब्रह्मा कुमारीज़ के 2025-26 के वार्षिक थीम — ‘विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान’ — के शुभारंभ कार्यक्रम में बोलते हुए कही। “भारत की प्राचीन सभ्यता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर ने हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के शाश्वत सिद्धांत को आत्मसात किया है। आज की दुनिया, जो अनिश्चितताओं और वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रही है, में यह संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है,” राष्ट्रपति ने कहा। आज मनुष्य पहले से अधिक शिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम हैं, और प्रगति के अनेक अवसरों से लैस हैं। फिर भी, इस प्रगति के साथ-साथ समाज बढ़ते तनाव, मानसिक असुरक्षा, अविश्वास और अकेलेपन से जूझ रहा है। “इस समय की आवश्यकता केवल आगे बढ़ने की नहीं है, बल्कि अपने भीतर झांकने की भी है,” मुर्मू ने कहा।
