दूरसंचार विभाग ने नागरिकों को IMEI से छेड़छाड़ के परिणामों को लेकर किया आगाह

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: संचार मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत में मोबाइल कनेक्टिविटी के तेजी से विकास के साथ टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर्स जैसे डिवाइस के इंटनरनेशनल मोबाइल इक्विप्मेंट आईडेंटिटी (IMEI) का मिसयूज एक गंभीर चिंता का विषय बना गया है।
मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि नागरिकों को कौन-सी बातों को नजरअंदाज करना जरूरी है। आधिकारिक बयान के अनुसार, नागरिकों को छेड़छाड़ किए गए आईएमईआई नंबर वाले मोबाइल डिवाइस का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्हें फेक डॉक्यूमेंट्स या धोखाधड़ी से सिम कार्ड नहीं खरीदना चाहिए। केंद्र का कहना है कि किसी व्यक्ति के नाम पर खरीदे गए सिम को दूसरे अनजान व्यक्ति को देने से बचना चाहिए। केंद्र का कहना है कि जो नागरिक अपने नाम पर सिम कार्ड खरीदते हैं और साइबर धोखाधड़ी में दुरुपयोग के लिए इस सिम कार्ड को दूसरों को देते हैं तो उन्हें भी अपराधी माना जाएगा।
बयान में कहा गया है कि नागरिकों को पता होना चाहिए कि उन्हें छेड़छाड़ किए गए आईएमईआई नंबर वाले डिवाइस का इस्तेमाल करने, धोखाधड़ी से सिम कार्ड लेने या अपने सिम कार्ड किसी ऐसे व्यक्ति को देने, जो साइबर धोखाधड़ी के लिए उनका दुरुपयोग करता है, पर गंभीर कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति के नाम पर खरीदे गए सिम कार्ड का कोई दूसरा व्यक्ति गलत इस्तेमाल करता है तो ऐसी स्थिति में ऑरिजनल यूजर को भी अपराधी माना जा सकता है।
नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे संचार साथी पोर्टल पर अपने डिवाइस के आईएमईआई को वेरिफाई कर सकते हैं। इसके अलावा, वे संचार साथी ऐप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जहां यूजर को ब्रांड, मॉडल के नाम के अलावा, मैन्युफैक्चरर की जानकारी आसानी से मिल जाती है।
मंत्रालय की ओर से प्रमुख कानूनी प्रावधानों की भी जानकारी दी गई है। दूरसंचार अधिनियम, 2023 मोबाइल हैंडसेट और दूसरे डिवाइस के आईएमईआई नंबर सहित टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर्स के साथ छेड़छाड़ करने पर कठोर दंड का प्रावधान करता है। इसके अलावा, धारा 42(3)(सी) विशेष रूप से टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर्स से छेड़छाड़ पर रोक लगाती है, जबकि धारा 42(3)(ई) धोखाधड़ी से ग्राहक पहचान मॉड्यूल (सिम) या टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर्स प्राप्त करने पर रोक लगाती है।

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