गैर-अमेरिकी बाजार समुद्री निर्यात के लिए वृद्धि के नए इंजन बनकर उभरे

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत के समुद्री क्षेत्र का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में 16.18 प्रतिशत बढ़कर 4.87 अरब डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चीन, वियतनाम, रूस, कनाडा और ब्रिटेन सहित गैर-अमेरिकी बाजारों में अच्छी वृद्धि इसकी प्रमुख वजह रही। भारतीय समुद्री उत्पादों पर 50 प्रतिशत शुल्क के कारण अमेरिका को निर्यात प्रभावित हुआ है।
एक अधिकारी ने बताया कि इस अवधि के दौरान क्षेत्र में व्यापार करने के तरीके में उल्लेखनीय बदलाव देखा गया है। पारंपरिक रूप से भारत के सबसे बड़े झींगा बाजार अमेरिका को निर्यात में 7.43 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 8.54 करोड़ डॉलर रह गया। अधिकारी ने कहा, ‘‘ हालांकि चीन, वियतनाम, बेल्जियम, जापान, रूस, कनाडा और ब्रिटेन को निर्यात में हुई शानदार वृद्धि से इस कमी की भरपाई हो गई।’’ ये लाभ निर्यात गंतव्यों में विविधता एवं वैश्विक ‘सोर्सिंग’ प्रवृत्तियों में संरचनात्मक बदलाव को दर्शाते हैं क्योंकि एशिया व यूरोप में खरीदार निरंतर गुणवत्ता तथा प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के लिए भारतीय आपूर्तिकर्ताओं की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, सात महीने की अवधि के दौरान चीन और वियतनाम को झींगा व प्रॉन का निर्यात क्रमशः 24.54 प्रतिशत और 123.63 प्रतिशत बढ़कर 56.83 करोड़ डॉलर तथा 26.16 करोड़ डॉलर हो गया। इसी प्रकार बेल्जियम, जापान, रूस, कनाडा और ब्रिटेन को निर्यात क्रमशः 94.18 प्रतिशत, 10.84 प्रतिशत, 49 प्रतिशत, 13.54 प्रतिशत और 28.81 प्रतिशत बढ़ा।
आंकड़ों के अनुसार, समुद्री उत्पादों के निर्यात में वृद्धि मुख्य रूप से भारत के प्रमुख समुद्री क्षेत्र झींगा और प्रॉन में हुई अच्छी वृद्धि के कारण हुई है। यह अप्रैल-अक्टूबर 2025 में सालाना आधार पर 2.64 अरब अमेरिकी डॉलर से 17.43 प्रतिशत बढ़कर 3.10 अरब डॉलर हो गया।

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