मोदी ने गमछा लहराया और राहुल ने मछली पकड़ी
संपादकीय { गहरी खोज }: फिल्म हो या राजनीति हो उसमें जो मेन किरदार होता है,उससे जनता प्रभावित होती है। अलग अलग किरदार अगल अलग ढंग से जनता काे प्रभावित करते हैं। कोई अपने डायलाग से, कोई अपने खास एक्शन से, कोई अपनी शालीनता से, कोई अपनी आक्रामकता से,कोई अपने खास अंदाज से।जो भी बड़ा हीरो होता है,वह अपने खास अंदाज के कारण बडा़ हीरो हाेता है, सबसे अलग होता, अपने समय का सबसे लोकप्रिय सुपर स्टार, मेगा स्टार होता है। कहा जा सकता है कि उसके खास अंदाज के कारण जनता उसे पसंद करती है, उसकी पिक्चरें देखती हैं। उसकी पिक्चरें हिट होती हैं। फिल्मी क्षेत्र में हीरो की पिक्चर हिट होना और राजनीति में चुनाव जीतना एक जैसी बात है।
बालीवुड में जिस हीरो की जितनी पिक्चरे हिट होती है,वह उतना ही बड़ा व सफल हीरो माना जाता है। इसी तरह राजनीति में जो नेता जितने चुनाव जीतता है, वह उतना ही सफल नेता व लोकप्रिय नेता माना जाता है। राजनीति में वैसे तो राज्यस्तर पर कई बड़े नेता हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर दो ही बड़े नेता माने जाते हैं। एक हैं पीएम मोदी और दूसरे हैं राहुल गांधी। दोनों ही नेता अपने क्रिया कलापों से लोगों से जुड़ते हैं और लोगों को अपने से जोड़ते हैं। जो ज्यादा लोगों को जोड़ सकता है, जो ज्यादा लोगों से जुड़ सकता है, वह चुनाव जीतता है। कोशिश तो राहुल गांधी भी करते हैं और पीएम मोदी भी करते हैं।चुनाव में जीत हार के आधार पर देखा जाए तो राहुल गांधी की तुलना में पीएम मोदी बहुत सफल हैं। पीएम मोदी केद्र की राजनीति में आने के बाद के तीन लोकसभा चुनाव में खुद जीते हैं और पार्टी को जिता चुके हैं। वही राहुल गांधी एक भी लोकसभा चुनाव पार्टी को नहीं जिता पाए हैं।
चुनाव जिताने का रिकार्ड पीएम मोदी का विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव बहुत अच्छा है। वही राहुल गांधी का रिकार्ड उतना ही खराब है। आंकड़ों के मुताबिर बिहार चुनाव को मिलाकर राहुल गांधी नेता के तौर पर ९५ चुनाव हार चुके हैं। बिहार में एक तरफ पीएम मोदी व नीतीश कुमार थे तो दूसरी तरफ राहुल गांधी व तेजस्वी यादव थे।एक तरफ बुजुर्ग नेताओंकी जोड़ी और एक तरफ युवा नेताओं की जोड़ी। हुआ क्या पीएम मोदी व नीतीश कुमार की जोड़ी बिहार के लोगों को खुद से जोड़ सकी और उनसे जुड़ सकी और इसी का परिणाम है कि बिहार में ऐतिहासिक चुनाव परिणाम आया है। राजनीति में माना जाता है कि जो नेता जनता से कनेक्ट करता है, वह सफल होता है।इस मायने में पीएम मोदी व नीतीश कुमार जनता से ज्यादा कनेक्ट कर पाए. जनता का ज्यादा प्रभावित कर पाए, वहीं राहुल गांधी और तेजस्वी ऐसा नहीं कर पाए।
बिहार चुनाव मे राहुल गांधी ने लोगों से कनेक्ट करने की कोशिश अपने तरीके से की तो पीएम मोदी ने अपने तरीके से की। राहुल गांधी ने तालाब में उतरकर मछली पकड़ने का प्रयास किया। इस बात की खूब चर्चा भी हुई।इसका चुनाव पर कोई असर नहीं हुआ।इसी तरह पीएम मोदी ने बिहार चुनाव में गमछा लहराकर लोगों से जुड़ने, उनकी भावना से जुड़ने का प्रयास किया।बिहार की संस्कृति से खुद को जोड़ा, लोगों को एहसास कराया कि मैं भी गमछाधारी हूं। मैं भी आपके जैसा हूं।बिहार में कई बेगुसराय की रैली व वहीं बने नए पुल पर पीएम मोदी ने पहली बार गमछा लहराया और समझ गए कि इसे बिहार के लोग पसंद करते हैं। उसके बाद कई जगह पीएम मोदी गमछा लहराते नजर आए और बिना कुछ कहे बिहार की जनता से जुड़ गए और वह संदेश दे दिया जो कहकर नहीं दिया जा सकता था। बिहार में गमछा परिधान नहीं, सम्मान, पहचान व संस्कृति का हिस्सा है। पीएम मोदी ने इसका जैसा उपयोग किया वह उनको दूसरे तमाम नेताओं से अलग करता है कि पीएम मोदी का जनता से जुड़ने का तरीका अलग है। वह कई तरह से जनता से जुड़ सकते हैं और उसको जोड़ भी सकते हैं।
