एपीडिम की बैठक में आपदा जोखिम डेटा शासन और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर देशों की संयुक्त प्रतिबद्धता

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नई दिल्ली { गहरी खोज }: राजधानी दिल्ली में हुई एशियन एंड पैसिफिक सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ डिसास्टर इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट (एपीडिम) की इन्क्लूसिव डिजास्टर रिस्क डाटा गवर्नेंस की दसवीं बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जोखिम आकलन, शुरुआती चेतावनी प्रणाली, जलवायु सहनशील ढांचे और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया गया। बैठक में एशिया प्रशांत क्षेत्र में आपदा और जलवायु जोखिम घटाने के लिए साझा प्रयासों को और मजबूत करने पर जोर दिया गया।
गृह मंत्रालय के अनुसार, भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने किया। उनके साथ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य और विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह तथा एनडीएमए के सचिव मनीष भरद्वाज भी उपस्थित रहे।
उद्घाटन संबोधन में नित्यानंद राय ने कहा कि भारत व्यापक क्षमता निर्माण एजेंडा, जियोस्पेशल तकनीक, प्रभाव आधारित पूर्वानुमान, जोखिम आकलन और शुरुआती चेतावनी प्रसारण को आगे बढ़ाते हुए क्षेत्रीय लचीलापन मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी प्रधानमंत्री मोदी के आपदा जोखिम न्यूनीकरण के दस सूत्रीय एजेंडा पर आधारित है, जो स्थानीय निवेश, तकनीक के उपयोग, जोखिम डेटा के सुदृढ़ीकरण और क्षेत्रीय सहयोग को प्राथमिकता देता है।
बैठक में पिछले वर्ष की गतिविधियों की समीक्षा, 2026 के लिए प्रस्तावित कार्यक्रमों और 2026 से 2030 की रणनीतिक कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा भी हुई। इन चर्चाओं से तैयार रोडमैप एपीडिम के आगे के कार्यों को दिशा देगा और सेंडई फ्रेमवर्क तथा सतत विकास लक्ष्य 2030 को आगे बढ़ाएगा।
सत्र में बांग्लादेश, ईरान, मालदीव, कजाखस्तान, मंगोलिया और तुर्की के प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों ने भाग लिया, जबकि ताजिकिस्तान ने पर्यवेक्षक के रूप में सहभागिता दर्ज की। बैठक में यूएन ईएसकैप के प्रशासन निदेशक स्टीफन कूपर, एपीडिम की निदेशक लेटिजिया रोस्सानो, वरिष्ठ समन्वयक मुस्तफा मोहांगेघ और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

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