हिड़मा काे किया ढेर, अब देवा का नंबर है…
संपादकीय { गहरी खोज }: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद खात्मे की ओर है। कई बड़े नक्सली नेता मारे गए हैं। बहुत सारे नक्सलियों ने पिछले एक दो माह में सरेंडर किया है। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्म के लिए जरूरी माना जा रहा था कि हिड़मा व देवा को सरेंडर करने को मजबूर किया जाए और वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनको भी ढूंढकर मार दिया जाए।छत्तीसगढ़ में कई बड़े नेताओं के मारे जाने व सरेंडर करने के बाद हिड़मा व देना ही बड़े नेता बचे है और बड़ी संख्या में जवान उनकी तलाश में गांवों मेें उतार दिए गए हैं।निरंतर दोनों नेताओं की तलाश की जा रही है।सरकार तो छोटा नक्सली नेता हो या बड़ा नक्सली नेता हो, सबको सरेंडर करने का एक मौका जरूर देती है, उस मौके का फायदा अगर नक्सली नेता नहींं उठाते हैं तो उनको तलाश कर मारने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है।
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के सफाए के लिए हिड़मा व देवा का सरेंडर करना या उनको ढेर करना जरूरी हो गया था, माना जा रहा था इन दोनों नक्सली नेताओं के मारे जाने से छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को कोई बड़ा नेता नहीं रह जाएगा। यह दोनों सरेंडर कर देते है या मारे जाते हैं तो शेष बचे नक्सलियों के सामने सरेंडर करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। जिस तरह हाल में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने सरेंडर किया है, यह दोनों बड़े नेता मारे जाते हैं तो और बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर करेंगे, इसलिए छत्तीसगढ़ के बस्तर में अब एकमात्र बड़ा लक्ष्य हिड़मा व देवा का मारना है और उनमें से हिडमा को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा को मार गिराया है। मुठभेड़ में उसकी पत्नी भी मारी गई है।
हिड़मा को मारे जाने के लिए सुरक्षा बलों को ३० नवंबर तक का समय दिया गया था।सुरक्षा बलों ने उसे ३० नवंबर से पहले मारकर साबित कर दिया है कि अब कोई भी नक्सली नेता सरेंडर नहीं करता है तो उसे हिड़मा की तरह मार दिया जाएगा। उसके लिए एक तारीख तय की जाएगी और उस तारीख के पहले उसको मार दिया जाएाग। ऐसा नहीं है कि हिड़मा को सरेंडर का मौका नहीं दिया गया है। गृहमंत्री विजय शर्मा कुछ दिन ही पहले हिड़मा के गांव पूवर्ती गए थे और उनकी मां से मिलकर कहा था कि आप हिड़मा से सरेंडर की अपील करिए क्योंकि अब कम समय बचा है। हिड़मा की मां ने अपील भी थी लेकिन हिड़मा ने मां की अपील पर सरेंडर नहीं किया और उसका वही अंजाम हुआ है आखिर में होना था।मुठभेड़ में वह पत्नी सहित मारा गया।
अभी कुछ दिन पहले सुरक्षा बलों ने बीजापुर जिले के नेशनल पार्क में हुई मुठभेड़ में 6 लाखों के ईनामी नक्सलियो का मार गिराया था,इनमें पापाराव की पत्नी भी शामिल थी।हिड़मा का नाम लंबे समय से नक्सली हिंसा से जुड़ा रहा है। वह सुरक्षा बलों पर हुए कई बड़े और घातक हमलों के पीछे मास्टरमाइंड माना जाता था। उसकी गिरफ्तारी या निष्प्रभावीकरण सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य था। मंगलवार सुबह आंध्रप्रदेश के एएसआर जिले के रामपचोदवरम उपमंडल स्थित मारेदुमिल्ली के पास हुई मुठभेड़ में हिड़मा समेत छह नक्सली ढेर किए गए हैं।हिड़मा बस्तर में नक्सल आतंक का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता था। इसका असली नाम संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा था। उसका जन्म सुकमा के पूवर्ती गांव में हुआ था। वह वर्ष 1990 में नक्सल संगठन से जुड़ा और 13 साल की उम्र में ही टॉप कमेटी में शामिल कर लिया गया।
गृह मंत्री अमित शाह ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर संतोष व्यक्त किया और इस अभियान में शामिल सभी अधिकारियों और जवानों की सराहना की। उन्होंने शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति पर भी चर्चा की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि मांदवी हिड़मा के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन में कोई नई नेतृत्व उभर न सके और उनकी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।अब छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सफाए के लिए देवा नंबर है। उसकी तलाश भी व्यापक तौर पर की जा रही है। पहले की तरह अब नक्सलियों के पास छिपने का कोई सुरक्षित ठिकाना नही है, यही वजह है कि वह कहीं जाते हैं तो उसकी सूचना सुरक्षा बलों को मिल जाती है और सुरक्षा बल मौके पर पहुंचकर नक्सलियों को ढेर करने में सफल हो जाते हैं।
