डायबिटीज होने पर आंखों पर पड़ता है बुरा प्रभाव, अंधे हो सकते हैं आप
लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जो शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है, लेकिन इसका सबसे गंभीर प्रभाव आंखों पर पड़ता है। लंबे समय तक शुगर लेवल बढ़ा रहने से आंखों की छोटी रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं, जिससे कई नेत्र रोग विकसित हो सकते हैं। ग्वालियर में स्थित रतन ज्योति नेत्रालय में चिकित्सा निदेशक, डॉ. प्रियंवदा भसीन के अनुसार, डायबिटीज से सबसे आम तौर पर होने वाली समस्याओं में डायबिटिक रेटिनोपैथी, कैटरैक्ट, ग्लूकोमा और मैक्युलर इडिमा हैं।
डायबिटीज में बढ़ जाती हैं आंखों की ये समस्याएं
डायबिटीज होने पर डायबिटिक रेटिनोपैथी में रेटिना की नसों में सूजन होने लगता है, जिससे आंखों की रौशनी कमजोर पड़ सकती है या काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं। वहीं कैटरैक्ट यानी मोतियाबिंद डायबिटीज रोगियों में सामान्य लोगों की तुलना में तेजी से विकसित होता है। इसी तरह ग्लूकोमा में आंख का प्रेशर बढ़कर ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचा सकता है, जो समय पर इलाज न मिलने पर स्थायी दृष्टि हानि तक का कारण बन सकता है।
ऐसे में डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे जरूरी कदम है ब्लड शुगर का सख्त नियंत्रण। इसके लिए भोजन में संतुलन, नियमित दवाइयाँ, इंसुलिन और जीवनशैली में अनुशासन बेहद आवश्यक है। लगातार शुगर कंट्रोल न केवल आंखों बल्कि पूरे शरीर को जटिलताओं से बचाता है।
आंखों की सुरक्षा के लिए करें काम
- आंखों की सुरक्षा के लिए विशेषज्ञ Dilated Retinal Examination कराने की सलाह देते हैं। यदि किसी मरीज में रेटिनोपैथी की शुरुआत हो चुकी है, तो जाँच हर 3–6 महीने करानी चाहिए।
- ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का नियंत्रण भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बढ़ा हुआ BP और LDL रेटिनोपैथी को तेज़ करते हैं। विशेषज्ञ BP को 130/80 से नीचे और LDL को 70 mg/dl से कम रखने की सलाह देते हैं।
- आंखों की रोशनी के लिए डाइट का अच्छा होना बेहद जरूरी है। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गाजर, पपीता, संतरा, ड्राई फ्रूट्स और ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थ आंखों की कोशिकाओं को मज़बूती प्रदान करते हैं।
- स्क्रीन टाइम नियंत्रित रखना, हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखने का नियम अपनाना, पर्याप्त नींद और तनाव कम करना आंखों को आराम और सुरक्षा देते हैं।
- धूप में UV-प्रोटेक्शन वाले चश्मे पहनना भी बहुत ज़रूरी है।
यदि अचानक दृष्टि धुंधली लगे, फ्लोटर्स दिखाई देने लगें, रोशनी कम महसूस हो या सीधी रेखाएं टेढ़ी दिखें, तो इंतज़ार न करें और तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लें।
