उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण करने वाले लैंड पूलिंग का संशोधन आदेश जारी
भोपाल{ गहरी खोज }: मध्य प्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ क्षेत्र में जमीनों के स्थाई अधिग्रहण करने वाले लैंड पूलिंग एक्ट को लेकर नगरीय प्रशासन विभाग ने बुधवार देर शाम संशोधन आदेश जारी किया है। विभाग के आदेश के बाद अब सिंहस्थ क्षेत्र में बिल्डिंग निर्माण के बजाए सड़क, बिजली, पानी, नाली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जमीन अधिग्रहण किया जाएगा।
नगरीय प्रशासन विभाग ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट 1973 की धारा 52 (1) ख के तहत धारा 50 (12) क में संशोधन करके बदल दिया है। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में लागू लैंड पूलिंग को इसी धारा से पूलिंग लागू हुई थी। इस आदेश के बाद अब सरकार आधी जमीन डेवलप कर लौटाने की जगह भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत मुआवजा देकर उज्जैन नगर विकास स्कीम में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करेगी। मुआवजा निर्धारण का अधिकार सरकार के पास रहेगा। अस्थाई व्यवस्था जैसे कच्ची सड़क के लिए सीमित मुआवजा किसान से सहमति के आधार पर तय किया जाएगा। सिंहस्थ क्षेत्र में सड़क, बिजली, नाली जैसे पक्के इंफ्रास्ट्रक्चर बनने पर स्थायी अधिग्रहण होगा। इसके लिए दोगुना मुआवजा मिलेगा।
लैंड पूलिंग लागू होने से सिंहस्थ क्षेत्र में नगर विकास स्कीम 8, 9, 10 और 11 लागू थीं। इनसे जुड़ी जमीन पर उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) का अधिकार था। धारा में संशोधन के बाद चारों स्कीमों की भूमि का अधिकार फिर किसानों को मिल जाएगा। सिंहस्थ क्षेत्र में सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए अब 2344.11 हेक्टेयर में से सिर्फ 70 हेक्टेयर जमीन की ही जरूरत पड़ेगी। इसमें करीब 23 हेक्टेयर जमीन सरकारी है। बाकी 45 से 50 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहण अधिनियम के तहत मुआवजा देकर ली जाएगी। सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा पक्का इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकारी जमीन पर ही विकसित हो। निजी जमीन का अधिग्रहण बाद में होगा। अधिग्रहीत जमीन पर 50 किमी रोड प्रस्तावित की है।
दरअसल, इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद बुधवार को मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद नगरीय प्रशासन विभाग के एसीएस संजय दुबे ने संशोधन आदेश जारी कर दिया।
उज्जैन सिंहस्थ से पहले नया अधिनियम भी लाने की तैयारी है। इससे मेला क्षेत्र में अतिक्रमण को रोका जाएगा। अभी ‘मध्यभारत सिंहस्थ मेला एक्ट 1955’ प्रभावी है। इसी के अधीन सिंहस्थ हो रहा है। इंफ्रास्ट्रक्बर विकसित होने के बाद भविष्य में मेला क्षेत्र में पक्के निर्माण को रोकने के लिए आर्थिक दंड के प्रावधान को सख्ती से शामिल किया जाएगा। यह दंड कितना होगा, कितने एरिये या निर्माण पर लगेगा, यह जल्द ही तय होगा।
हालांकि, किसान संघ इस आदेश को धोखा बता रहा है। नगरीय विकास व आवास विभाग के आदेश पर पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा कि सरकार से बातचीत में किसान संघ ने लिखित पत्र देकर स्पष्ट किया था कि सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पूलिंग एक्ट समाप्त हो । उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र से नगर विकास योजना (TDS 8,9,10,11) लैंड पूलिंग एक्ट का गजट नोटिफिकेशन रद्द किया जाए व पूर्व की तरह सिंहस्थ आयोजित किया जाए। उज्जैन में किसानों पर दर्ज मुकदमे वापिस लिए जाए और सिंहस्थ क्षेत्र में कोई भी स्थाई निर्माण न हो।
आंजना ने कहा कि सरकार से बात धारा खत्म करने की थी, जारी आदेश में कहे नियम तो उलझाने की बात है। सरकार से प्रतिनिधि मंडल की जो बात हुई थी, उसमें लैंड पूलिंग एक्ट निरस्त होना था। यानि स्कीम 8,9,10 और 11 खत्म करके धारा 50 (1) को निरस्त करना था। जो संशोधन किया गया है, उससे तो लगता है कि किसानों को फंसाया और उलझाया जा रहा है। यदि ऐसा हुआ तो किसान संघ फिर से अपनी पुरानी आंदोलन वाली व्यवस्था पर चला जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। हमारी शुरू से मांग रही है कि जैसा सिंहस्थ पूर्व में होता रहा है, वैसे ही किया जाए। इसमें यूडीए और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को क्यों घुसाया जा रहा है। टीएनसीपी धारा 50, 12(क) किसानों को मंजूर नहीं है। इससे लगता है कि सरकार की मंशा लैंड पूलिंग कानून को निरस्त करने की दिशा में ठीक नहीं है।
