अधिक नक्सलवादी छोड़ रहे हिंसा का रास्ता, विकास की मुख्यधारा :राष्ट्रपति

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अंबिकापुर{ गहरी खोज } : राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू ने गुरुवार को कहा कि देशभर में नक्सलवादी हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों से वामपंथी उग्रवाद (LWE) का उन्मूलन संभव हो सकेगा। अंबिकापुर में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समुदायों को अन्य सामाजिक समूहों के साथ धीरे-धीरे आगे बढ़ना होगा। राष्ट्रपति ने कहा, “लोग (नक्सलवादी) छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में वामपंथी उग्रवाद का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों से LWE का खात्मा संभव होगा।”
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्य मिलकर कदम उठा रहे हैं, इसे उन्होंने “बहुत संतोषजनक परिवर्तन” बताया। उन्होंने हाल ही में आयोजित बस्तर ओलंपिक में 1,65,000 से अधिक प्रतिभागियों की भागीदारी को हर्ष का विषय बताया। राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे विश्वास है कि जनजातीय वीरों के आदर्शों का पालन करते हुए छत्तीसगढ़ के निवासी एक मजबूत, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे।”
महिलाओं की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “महिलाएँ समाज की नींव हैं, और जब वे आगे बढ़ती हैं तो समाज आगे बढ़ता है…” राष्ट्रपति मुरमू ने हाल ही में राष्ट्रपति भवन में भारतीय महिला विश्व कप विजेता क्रिकेट टीम से अपनी मुलाकात को याद करते हुए जनजातीय क्रिकेटर क्रांति गौड़ की सराहना की और कहा कि वह कठिन परिश्रम और समर्पण से टीम में जगह बनाने में सफल रहीं। उन्होंने कहा कि क्रांति का राष्ट्रीय टीम तक का सफर चुनौतियों से भरा रहा, लेकिन वह साहस और दृढ़ संकल्प की प्रेरणादायक मिसाल बनकर उभरीं।
राष्ट्रपति ने कहा, “क्रांति गौड़ ने मेहनत और लगन का जो प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह देशभर की महिलाओं, विशेषकर जनजातीय बेटियों के लिए मार्गदर्शक है।” उन्होंने पारंपरिक खेलों को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता भी जताई। मुरमू ने कहा कि जनजातीय समुदायों में हमेशा से खेलों के प्रति स्वाभाविक रुचि और प्रतिभा रही है, और इस शक्ति को आने वाली पीढ़ियों के लिए आगे बढ़ाना चाहिए। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव सई मौजूद थे। जनजातीय नायक बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

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