भारत ने द्वीपीय देशों की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिए वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया
बेलेम{ गहरी खोज } : भारत ने छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयासों की जरूरत पर बल दिया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सौर ऊर्जा “परिवर्तन और सामाजिक क्रांति” का सबसे सशक्त माध्यम बन सकती है।
बुधवार को इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) SIDS प्लेटफॉर्म के उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय नेतृत्व सत्र में बोलते हुए यादव ने कहा कि द्वीपीय देश आयातित जीवाश्म ईंधन, जलवायु व्यवधानों और कमजोर बुनियादी ढांचे पर निर्भर हैं, जिससे वे बेहद संवेदनशील हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि किफायती, स्वच्छ और लचीली ऊर्जा प्रणालियों को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयास अनिवार्य हैं।
ISA SIDS प्लेटफॉर्म का उद्देश्य मानकीकृत खरीद, मिश्रित वित्त और क्षमता निर्माण के माध्यम से सौर समाधानों की आसान उपलब्धता के लिए डिजिटल और वित्तीय इकोसिस्टम तैयार करना है। यह सत्र UNFCCC COP30 के दौरान आयोजित हुआ, जिसमें SIDS देशों और ISA सदस्य देशों के मंत्रियों एवं वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
भारत के समर्थन को दोहराते हुए यादव ने देश में स्वच्छ ऊर्जा विस्तार की तेज प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “भारत 500 गीगावॉट से अधिक स्थापित बिजली क्षमता पार कर चुका है और इसका आधे से अधिक हिस्सा स्वच्छ ऊर्जा है। भारत ने अपने NDC लक्ष्य से पांच वर्ष पहले ही 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल कर ली है।” उन्होंने बताया कि भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा उत्पादक और सौर ऊर्जा में तीसरे स्थान पर है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “स्केल और स्पीड” वाली दृष्टि का परिणाम है।
यादव ने प्रधानमंत्री सूर्य घर रूफटॉप सोलर कार्यक्रम, पीएम जनमन योजना और बड़ी बैटरी भंडारण परियोजनाओं जैसे प्रमुख कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 20 लाख से अधिक घरों में अब रूफटॉप सोलर है, जिसे उन्होंने “हर परिवार के लिए स्वतंत्रता” और “हर छत पर एक मिनी पावर प्लांट” बताया। उन्होंने कहा कि सौर पंप और फीडर किसानो को डीजल पर निर्भरता कम करने और बिजली आपूर्ति को अधिक विश्वसनीय बनाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने लद्दाख जैसी परियोजनाओं का भी उल्लेख किया, जहां सौर और बैटरी भंडारण परियोजना इतनी ऊर्जा संग्रहित कर सकती है कि “पूरे शहर को रोशन किया जा सके।” यादव ने कहा कि ऐसे मॉडल SIDS देशों को डीजल आयात कम करने और जलवायु लचीलापन बढ़ाने में मदद करेंगे।
124 से अधिक सदस्य देशों वाले ISA को उन्होंने “वैश्विक सौर परिवार” बताया, जो परियोजना डिजाइन, वित्त जुटाने और स्थानीय रोजगार सृजन को तेज करने में जुटा है। उन्होंने कहा, “सौर ऊर्जा सिर्फ तकनीक नहीं है—यह आशा है, यह सशक्तिकरण है, यह स्वतंत्रता है, यह गरिमा है, यह शांति है।” द्वीपीय देशों के प्रतिनिधियों ने भारत की उपलब्धियों की सराहना की और कहा कि ISA SIDS प्लेटफॉर्म नवीकरणीय क्षमता को अनलॉक करने, कौशल बढ़ाने, वित्तीय जोखिम कम करने और जलवायु-सुरक्षित ऊर्जा तंत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ISA की स्थापना 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने COP21, पेरिस में की थी। इसका लक्ष्य 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाकर सौर ऊर्जा के विस्तार और तकनीक व वित्त की लागत कम करना है।
