दिमाग खाने वाले अमीबा से रहें सावधान! सबरीमाला जाने वाले श्रद्धालुओं को कर्नाटक सरकार ने दी सलाह, जान लें इसके लक्षण

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: केरल में पिछले कुछ दिनों से दिमाग खाने वाले अमीबा का खतरा बना हुआ है। अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस, जिसे अक्सर “दिमाग खाने वाला अमीबा” कहते हैं। ये नेग्लेरिया फाउलेरी के कारण होता है । यह अमीबा गर्म, कीचड़ वाली जगह, स्थिर पानी और खराब पानी में पैदा होता है और नाक से होते हुए शरीर के अंदर चला जाता है। यह बीमारी बेहद दुर्लभ है, लेकिन बेहद घातक भी है। केरल में पिछले कुछ महीनों में इसके सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। अब कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने सबरीमाला जाने वाले राज्य के तीर्थ यात्रियों को अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) से खुद को सुरक्षित रखने के लिए सावधानियों के बारे में एक सलाह जारी की है। लोगों को दिमाग खाने नाले अमीबा से सावधान रहने की सलाह दी गई है।

दिमाग खाने वाले अमीबा से रहें सावधान
एडवाइजरी में कहा गया है कि ये एक ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या दूषित पानी पीने से नहीं फैलता। ये नेगलेरिया फाउलेरी के कारण होता है, जिसे “दिमाग खाने वाला अमीबा” भी कहा जाता है। जो ज्यादातर गर्म मीठे पानी के स्रोतों और कीचड़ में पाया जाता है। सलाह में लोगों को स्थिर पानी में नहाते समय पानी को अंदर जाने से रोकने के लिए नाक पर क्लिप लगाने या नाक को कसकर पकड़ने की सलाह दी गई है। इसमें कहा गया है कि नेग्लेरिया फाउलेरी अत्यधिक विषैला होता है, जो नाक के जरिए शरीर के अंदर घुसता है और मस्तिष्क तक पहुंचकर इस गंभीर और घातक बीमारी का कारण बनता है।

दिमाग खाने वाले अमीबा के लक्षण
लोगों को सलाह दी गई है कि अगर पानी के संपर्क में आने के सात दिनों के भीतर उन्हें बुखार, सिरदर्द, मतली, गर्दन में अकड़न या व्यवहार संबंधी विकार जैसे लक्षण दिखाई दें। तो इसके लिए बिना देरी किए नजदीकी अस्पताल जाएं और तुरंत इलाज कराएं। डॉक्टर्स की मानें तो दिमाग खाने वाला अमीबा बहुत तेज़ी से बढ़ता है, जिससे शुरुआती लक्षणों की पहचान कर पाना कई बार मुश्किल हो जाता है। लेकिन ये कुछ सामान्य चेतावनी संकेत दिखने पर अलर्ट होने की जरूरत है।

भयंकर सरदर्द
बुखार और मतली
गर्दन में अकड़न
भ्रम या भटकाव
सीजर्स यानि दौरे पड़ना

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