दिसंबर तक अद्यतन एनडीसी प्रस्तुत करेगा भारत, COP30 में यादव ने कहा, जलवायु परिवर्तन ‘वास्तविक’
बेलेम{ गहरी खोज }:भारत दिसंबर तक वर्ष 2035 की अवधि के लिए अपना संशोधित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रस्तुत करेगा, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने विकसित देशों से आग्रह किया कि वे अपने वर्तमान समय-सीमा से काफी पहले नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करें। यहां COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन के उच्च-स्तरीय खंड को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन “वास्तविक और आसन्न” है, जो अस्थिर वृद्धि और विकास के पैटर्न से प्रेरित है। COP30 के एक अलग कार्यक्रम में उन्होंने औद्योगिक संक्रमण को तेज करने के लिए वैश्विक साझेदारियों की आवश्यकता रेखांकित की और औद्योगिक उप-उत्पादों से मूल्य निर्माण पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं की घोषणा की। उन्होंने कहा, “विकसित देशों को अपने वर्तमान लक्ष्य समय से कहीं पहले नेट-जीरो हासिल करना चाहिए, पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9.1 के तहत अपने दायित्व पूरे करने चाहिए और नए, अतिरिक्त और रियायती जलवायु वित्त की आपूर्ति करनी चाहिए, जिसकी अनुमानित जरूरत ट्रिलियन डॉलर में है।”
उन्होंने कहा कि जलवायु लक्ष्यों का कार्यान्वयन पर्याप्त, सुगम और किफायती होना चाहिए तथा बौद्धिक संपदा से संबंधित प्रतिबंधात्मक बाधाओं से मुक्त भी। उन्होंने कहा, “वैश्विक समुदाय इस COP को क्रियान्वयन और उपलब्धि के रूप में याद रखे। आने वाला दशक क्रियान्वयन, लचीलापन और साझा जिम्मेदारी का दशक हो, जो एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की भावना में दुनिया को जोड़े।” भारत के लक्ष्य पर बात करते हुए यादव ने कहा कि हाल ही में शुरू किए गए न्यूक्लियर मिशन और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से 2070 तक नेट-जीरो के लक्ष्य की दिशा में देश की यात्रा और तेज हुई है। उन्होंने कहा, “हम वर्ष 2035 तक के अपने संशोधित एनडीसी और पहला द्विवार्षिक पारदर्शिता रिपोर्ट भी जारी करेंगे।” एनडीसी प्रस्तुत करने में देरी पर पूछे गए प्रश्न पर यादव ने कहा कि आंतरिक प्रक्रियाएं, जिनमें मंत्रिमंडल की स्वीकृति भी शामिल है, चल रही हैं। उन्होंने कहा, “हमने कहा है कि इसे जल्द जारी करेंगे। यह दिसंबर तक आ जाएगा।”
एनडीसी पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं हैं, जिनमें उत्सर्जन में कटौती और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लक्ष्य तय किए जाते हैं, ताकि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के प्रयासों का मार्गदर्शन किया जा सके। देशों को वर्ष 2031-2035 की अवधि के लिए अपने तीसरे दौर के एनडीसी, जिन्हें “एनडीसी 3.0” कहा जाता है, इस वर्ष प्रस्तुत करने हैं। अधिकांश देशों ने COP30 शुरू होने से पहले ही अपने संशोधित एनडीसी प्रस्तुत कर दिए थे।
COP30 के दौरान यादव ने ब्रिटेन के ऊर्जा सुरक्षा और नेट-जीरो के राज्य सचिव एडवर्ड मिलीबैंड से भी मुलाकात की और जलवायु से सम्बंधित कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने एक्स पर कहा, “आज बेलेम में COP30 के दौरान ब्रिटेन के ऊर्जा सुरक्षा और नेट-जीरो के राज्य सचिव श्री एडवर्ड मिलीबैंड के साथ अत्यंत सार्थक चर्चा हुई।” दोनों पक्षों ने बहुपक्षीयता के महत्व पर जोर दिया और विशेष रूप से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, जलवायु वित्त और पारदर्शिता पर केंद्रित COP30 के महत्वपूर्ण एजेंडा मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
COP30 शिखर सम्मेलन में इंडस्ट्री ट्रांजिशन के लिए लीडरशिप ग्रुप (लीडआईटी) के सह-अध्यक्ष के रूप में एक सत्र का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने कहा, “यह गोलमेज बैठक ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रही है जब दुनिया पेरिस समझौते की दसवीं वर्षगांठ मना रही है। अब हमें लक्ष्य निर्धारण से आगे बढ़कर क्रियान्वयन पर जाना होगा। उन्होंने बताया कि अपनी स्थापना के बाद से लीडआईटी 18 सदस्य देशों और 27 कंपनियों तक विस्तृत हो चुका है और इसने वैश्विक जलवायु एजेंडा पर औद्योगिक संक्रमण को ऊंचा स्थान देने, संक्रमण रोडमैप तैयार करने, वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में पारदर्शिता बढ़ाने और ज्ञान विनिमय के लिए मंच तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा, “आज हम एसकेएफ का इस मंच के नवीनतम सदस्य के रूप में स्वागत करते हुए प्रसन्न हैं। प्रौद्योगिकी साझाकरण, वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में केंद्रीय भूमिका निभाता रहेगा।” उन्होंने देशों, उद्योगों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से सहयोग को और सुदृढ़ करने का आग्रह किया और औद्योगिक संक्रमण को तेज करने के लिए लीडआईटी से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “सामूहिक प्रयास पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सतत भविष्य बनाने में मदद करेंगे।” मंत्री ने बताया कि इंडस्ट्री ट्रांजिशन प्लेटफॉर्म (आईटीपी) के तहत प्रगति हुई है, जिसे भारत और स्वीडन के संयुक्त वित्त पोषण से स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत और स्वीडन की 18 उद्योगों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा जल्द ही ऐसे प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे, जिनमें औद्योगिक उप-उत्पादों और गैसों से मूल्य निर्माण, कार्बन कैप्चर और उपयोग, प्रक्रिया अनुकूलन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, विद्युतीकरण और हाइड्रोजन आधारित औद्योगिक हीटिंग शामिल हैं। उच्च स्तरीय खंड में अपने भाषण के दौरान यादव ने कहा कि COP30 पेरिस समझौते के एक दशक पूरे होने का प्रतीक है, जो दुनिया के सामूहिक संकल्प का मूल्यांकन करने का उपयुक्त समय है। उन्होंने कहा, “इसने हमें याद दिलाया है कि जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर की वास्तविकता नहीं है, बल्कि वास्तविक और आसन्न है। अस्थिर विकास ने धरती को गहरे संकट में डाल दिया है।”
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र निकाय को जानकारी दी कि पेरिस समझौते के अनुरूप कार्बन सिंक और भंडार के संरक्षण व विकास के उद्देश्य से देशभर में समुदाय आधारित पहल के तहत सिर्फ 16 महीनों में दो अरब पौधे लगाए गए।
उन्होंने कहा, “यह सामूहिक जलवायु कार्रवाई की शक्ति का प्रमाण है। भारत ने सफलतापूर्वक दिखाया है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ आगे बढ़ सकते हैं। भारत की उत्सर्जन तीव्रता 2005 के बाद से 36 प्रतिशत से अधिक कम हुई है।”
यादव ने बताया कि भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता लगभग 256 गीगावॉट है, जो उसकी कुल स्थापित बिजली क्षमता का आधे से अधिक है, और यह लक्ष्य भारत ने अपने एनडीसी में निर्धारित समय से पांच वर्ष पहले हासिल कर लिया। उन्होंने कहा, “अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जैसे उपक्रम अब सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के वैश्विक मंच बन गए हैं।”
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP30) में 190 से अधिक देशों के वार्ताकार भाग ले रहे हैं। COP30, ब्राजील के अमेजन क्षेत्र में स्थित बेलेम शहर में 10 से 21 नवम्बर तक आयोजित हो रहा है।
आयोजक देश की सराहना करते हुए यादव ने कहा, “भारत की ओर से मैं ब्राजील सरकार और बेलेम के लोगों को COP30 की मेजबानी करने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं, जो अमेजन के हृदय में आयोजित हो रहा है, जो हमारी पृथ्वी की पारिस्थितिक संपदा का जीवंत प्रतीक है।”
