कुटीर उद्योगों की स्थापना एवं स्थानीय उत्पादों के प्रोत्साहन से रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे : उप मुख्यमंत्री शुक्ल

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एक जिला-एक उत्पाद और निर्यात प्रोत्साहन कार्यशाला में शामिल हुए उप मुख्यमंत्री

भोपाल{ गहरी खोज }: उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि कुटीर उद्योगों की अधिक से अधिक स्थापना एवं स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित कर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। स्थानीय उद्यमियों को उनके द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की बाजार उपलब्धता से उनकी आर्थिक समृद्धि भी बढ़ेगी। उप मुख्यमंत्री एक जिला-एक उत्पाद और निर्यात प्रोत्साहन कार्यशाला में शामिल हुए।
जिला प्रशासन एवं एमपीआईडीसी के संयुक्त तत्वावधान में ईको पार्क में आयोजित कार्यशाला में शनिवार काे उप मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आर्थिक समृद्धि शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार पर निर्भर रहती है। हमारा देश तेजी से आत्मनिर्भर बनकर आर्थिक तौर पर समृद्ध हुआ है। स्वसहायता समूहों एवं स्थानीय कारीगरों को प्रशिक्षण देकर बनाए जा रहे उत्पादों को उच्च गुणवत्ता का बनाने में मदद करने की जिम्मेदारी एमपीआईडीसी की है ताकि प्रशिक्षित होकर कारीगर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद निर्मित कर सकें और उनका बाजार में अच्छा मूल्य मिले। उप मुख्यमंत्री ने एमपीआईडीसी के अधिकारियों की इस बात के लिए सराहना की कि उन्होंने बैम्बो लेडी ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध नीरामोई शर्मा को असम से रीवा बुलाकर कार्यशाला में उनके आत्मविश्वासपूर्ण उद्गार व प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी उद्यमियों को साझा कराई जिसका लाभ लेकर स्थानीय बांस बनाने वाले कारीगर व अन्य उद्यमी लाभ ले सकेंगे। उपमुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि रीवा में व्यंकट भवन के पास शीघ्र ही हाट बाजार का निर्माण कराया जाएगा, जहाँ स्थानीय उत्पादक अपने उत्पादों को बिक्री के लिए प्रदर्शित कर सकेंगे। उन्होंने अपेक्षा की है कि एक जिला-एक उत्पाद के साथ ही स्थानीय उद्यमों के कुटीर उद्योग के जाल बिछें और हजारों हजार की संख्या में स्थानीय लोग इससे जुड़कर लाभान्वित हो सकें।
इस अवसर पर असम निवासी बैम्बो ऑफ लेडी के नाम से प्रसिद्ध नीरामोई शर्मा ने बांस से बनाए गए गहनों सहित अन्य उत्पादों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी बांस की निर्मित वस्तुओं में कम बांस के उपयोग से अधिक आय प्राप्त हो सकती है। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपेक्षा की कि बांस लगाकर इससे लाभ प्राप्त करें और प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें। उन्होंने कहा कि बांस कम समय उत्पादित हो जाता है और उससे आक्सीजन भी पर्याप्त मात्रा में मिलती है। उन्होंने आश्वस्त किया कि वह रीवा में बांस से निर्मित वस्तुओं के लिए प्रशिक्षण देंगी।
कार्यशाला में वन मण्डलाधिकारी लोकेश नागपुरे ने बताया कि आने वाले वर्ष में जिले में बांस की प्रचुर मात्रा में कटाई की जाएगी, जिससे यहाँ पर्याप्त संख्या में इसकी उपलब्धता रहेगी। उन्होंने बताया कि गत वर्षों में 175 किसानों ने दो लाख 64 हजार बांस अपने खेतों व अन्य जमीनों में लगाए हैं जिसके लिए उन्हें शासन द्वारा सब्सिडी भी दी गई है। एमपीआईडीसी के कार्यकारी संचालक यूके तिवारी ने बताया कि लोकल टू ग्लोबल के उद्देश्य से स्थानीय उत्पाद एवं एक जिला एक उत्पाद को देश और विदेश में पहचान दिलाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है। स्थानीय कारीगरों को उत्पाद के लिए प्रशिक्षित करने और उनको बाजार उपलब्ध कराकर समृद्धशाली बनाने में कार्यशाला उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि रीवा विकास की ओर अग्रसर होता हुआ जिला है। इस अवसर पर महाप्रबंधक उद्योग जेपी तिवारी, अग्रणी जिला प्रबंधक जगमोहन, वूमन इंटरप्रेन्योर चेतना मिश्रा, स्टार्टअप प्रतिनिधि संजना सिंह, एमपीआईडीसी भोपाल की प्रतिनिधि शैलजा सोनी सहित युवा उद्यमियों ने अपने विचार व्यक्त किए। दिल्ली से वालमार्ट के प्रतिनिधि नीत नेगी ने वालमार्ट से जुड़कर बाजार उपलब्धता के संबंध में जानकारी दी।

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