दिल्ली अब शीर्ष पर नहीं, फिर भी सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल; अक्टूबर में छठे स्थान पर

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: एक अध्ययन के अनुसार अक्टूबर में वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली देश में छठे स्थान पर रही। अक्सर सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में पहले स्थान पर रहने वाली दिल्ली को इस बार उससे भी अधिक खराब स्थिति उसके आसपास के शहरों में देखने को मिली। हरियाणा के धरूहेड़ा को देश का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है, जहां अक्टूबर में PM2.5 का औसत स्तर 123 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। यह जानकारी सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा जारी मासिक वायु गुणवत्ता रिपोर्ट से सामने आई है, जो देशभर में स्थापित निरंतर वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों पर आधारित है।
रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया कि देश में वायु गुणवत्ता पिछली तुलना में काफी अधिक बिगड़ी है और सबसे गंभीर स्थिति इंडो-गैंगेटिक क्षेत्र समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में देखने को मिली। दिल्ली में अक्टूबर माह में PM2.5 का औसत स्तर 107 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो सितंबर के 36 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की तुलना में तीन गुना से भी अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार पराली जलाने का योगदान दिल्ली के प्रदूषण में छह प्रतिशत से भी कम रहा, लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण के स्तर में तीव्र वृद्धि ने यह स्पष्ट किया कि साल भर के प्रदूषण स्रोतों पर नियंत्रण और दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता है। मौसमी उपायों जैसे ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) से अकेले समाधान संभव नहीं है।
धरूहेड़ा ने अक्टूबर के 77 प्रतिशत दिनों में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक सीमा को पार किया और महीने में दो दिन ‘गंभीर’ तथा नौ दिन ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहे। इसके बाद रोहतक, गाज़ियाबाद, नोएडा, बल्लभगढ़, दिल्ली, भिवाड़ी, ग्रेटर नोएडा, हापुड़ और गुरुग्राम सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहे। यह उल्लेखनीय है कि टॉप 10 में उत्तर प्रदेश और हरियाणा के चार-चार शहर शामिल रहे, जो सभी NCR का हिस्सा हैं।
देश के सबसे स्वच्छ शहरों की सूची में मेघालय का शिलांग सबसे ऊपर रहा, जहां अक्टूबर में PM2.5 का औसत स्तर केवल 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। शिलांग के अलावा शीर्ष 10 स्वच्छ शहरों में कर्नाटक के चार, तमिलनाडु के तीन और सिक्किम व छत्तीसगढ़ के एक-एक शहर शामिल हुए। इस दौरान 249 में से 212 शहरों में PM2.5 स्तर भारत की राष्ट्रीय सीमा से कम पाया गया, हालांकि केवल छह शहर ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित दैनिक सीमा 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच सके।
सितंबर से अक्टूबर के बीच वायु गुणवत्ता में गिरावट स्पष्ट रूप से दिखाई दी। सितंबर में जहां अधिकतर शहर ‘अच्छी’ श्रेणी में थे, वहीं अक्टूबर में वे ‘संतोषजनक’ से लेकर ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणियों में पहुंच गए। प्रदूषण की इस बढ़ती समस्या ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारें और प्रशासन प्रदूषण के असली स्रोतों से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं।

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