उन्हें नोटिस नहीं दिए गए हैं तो नए नोटिस जारी कर उनके जवाब प्राप्त किए जाएं :हाईकोर्ट
जबलपुर{ गहरी खोज }: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनिन्द्र कुमार सिंह की डिविजनल बेंच ने दमोह जिले के सतरिया गांव में ओबीसी युवक से पैर धुलवाने वाले मामले में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट रजिस्ट्री से यह पूछा है कि क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और समाचार पत्रों को विधिवत नोटिस जारी किए गए हैं या नहीं। अदालत ने कहा कि यदि अब तक उन्हें नोटिस नहीं दिए गए हैं तो नए नोटिस जारी कर उनके जवाब प्राप्त किए जाएं।
वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस ने बिना आधिकारिक आदेश की प्रति प्राप्त किए ही शाम को एनएसए के तहत निरुद्धि आदेश जारी कर दिया। इस पर अदालत ने कलेक्टर और एसपी से जवाब तलब किया था। साथ ही,जिनकी रिपोर्टों के आधार पर यह मामला सामने आया था, उन प्लेटफॉर्म जिनमें ‘सत्य हिंदी-MP’, ‘पंजाब केसरी’, ‘लल्लनटॉप’ और ‘नवभारत टाइम्स’ जैसे समाचार माध्यम शामिल हैं को नोटिस जारी किए गए थे, कोर्ट ने पूछा था कि उनकी प्रकाशित सामग्री कितनी सत्य और प्रमाणिक है।
पहले कोर्ट ने दमोह के कलेक्टर और एसपी से पूछा था कि किन तथ्यों के आधार पर पांच लोगों पर एनएसए जैसी कठोर कार्रवाई की गई। अदालत ने यह भी कहा था कि आदेश की प्रमाणित प्रति जारी होने से पहले ही एनएसए लागू करना न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर को इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था।
