मलेशिया ने आसियान से साइबरस्पेस में रक्षा सहयोग बढ़ाने की अपील की

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कुआला लंपुर{ गहरी खोज } : मलेशिया ने शुक्रवार को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सदस्य देशों से अपील की कि वे अपने सुरक्षा सहयोग को समुद्री क्षेत्रों से आगे बढ़ाकर साइबरस्पेस तक विस्तारित करें। यह अपील संगठन के रक्षा मंत्रियों की वार्षिक बैठक में की गई।
रक्षा मंत्री मोहम्मद खालिद नोर्दिन ने बैठक की शुरुआत करते हुए चेताया कि क्षेत्रीय शांति पारंपरिक और उभरते खतरों के कारण बढ़ते दबाव में है। उन्होंने दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव और साइबर हमलों में वृद्धि को लेकर चिंता जताई, जो “समाज को बाधित कर सकते हैं, सरकारों को अस्थिर कर सकते हैं और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा सकते हैं।” उन्होंने कहा, “आज के खतरे सीमाओं और आयामों से परे हैं। हम दक्षिण चीन सागर में चुनौतियों को देख रहे हैं, लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि हमारा डिजिटल क्षेत्र भी उतने ही खतरे में है। हमारी नेटवर्क प्रणालियों पर होने वाले अदृश्य हमले भी उतने ही खतरनाक हो सकते हैं जितने समुद्री क्षेत्रों पर मंडराते खतरे।”
आसियान रक्षा मंत्री शनिवार को अपने संवाद साझेदारों — अमेरिका, चीन, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और रूस — के साथ बैठक करेंगे। इनमें अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, जो बुधवार देर रात पहुंचे, और उनके चीनी समकक्ष डोंग जुन भी शामिल हो रहे हैं।
खालिद ने आसियान देशों से यह भी आग्रह किया कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद समाधान में सहयोग देने के लिए एक आसियान पर्यवेक्षक टीम के गठन की प्रक्रिया तेज की जाए। दोनों देशों ने रविवार को विस्तारित युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका साक्षी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इस वर्ष आसियान के अध्यक्ष मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम रहे।
खालिद ने म्यांमार में जारी गृहयुद्ध का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए आसियान की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि ब्लॉक (आसियान) इस बात पर अडिग है कि म्यांमार को “आसियान में उसकी उचित स्थिति पर वापस लाने” में मदद की जाएगी। गौरतलब है कि 2021 के पांच सूत्रीय शांति समझौते का पालन न करने पर म्यांमार की सैन्य सरकार के नेताओं पर आसियान बैठकों में प्रतिबंध लगा दिया गया है।
म्यांमार में 2021 में सेना द्वारा चुनी हुई सरकार को हटाए जाने के बाद से संघर्ष जारी है, जिससे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन और अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

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