APEC में शी जिनपिंग ने बहुपक्षवाद का समर्थन किया, ट्रंप के साथ समझौते के बाद दिया बयान
 
                ग्योंगजु{ गहरी खोज }: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को एशिया-प्रशांत नेताओं से वैश्विक मुक्त व्यापार का समर्थन करने की अपील की। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस वर्ष के एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया।
APEC शिखर सम्मेलन शुक्रवार को दक्षिण कोरिया के ग्योंगजु में शुरू हुआ, लेकिन ट्रंप इसके शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही देश छोड़कर चले गए। उनके जाने से पहले शी जिनपिंग के साथ हुई मुलाकात में व्यापार युद्ध कम करने से जुड़े कई समझौते हुए। ट्रंप ने कहा कि बैठक बहुत सफल रही और अमेरिका चीन पर लगाए कुछ टैरिफ कम करेगा, जबकि चीन अमेरिकी सोयाबीन की खरीद बढ़ाने और रेयर अर्थ खनिजों के निर्यात की अनुमति देने पर राजी हुआ है। इन समझौतों से दुनिया की अर्थव्यवस्था को बड़ी राहत मिली, जो लंबे समय से दोनों देशों के तनाव के कारण प्रभावित हो रही थी।
ट्रंप ने बड़ी बहुपक्षीय बैठकों से अपनी दूरी को एक बार फिर स्पष्ट किया है, लेकिन उनका यह कदम अमेरिका की साख पर असर डाल सकता है, क्योंकि APEC दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी और आधे से अधिक वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है।
शी जिनपिंग ने कहा कि यह समय मिलकर काम करने का है और आज की दुनिया तेजी से बदल रही है जहाँ अंतरराष्ट्रीय हालात जटिल और अस्थिर होते जा रहे हैं। उन्होंने आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर बनाए रखने की बात कही, जो अमेरिका की चीन से सप्लाई चेन को अलग करने की नीति पर सीधा जवाब माना जा रहा है। साथ ही उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा और हरित तकनीक में सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई। यह 11 साल बाद शी जिनपिंग की दक्षिण कोरिया यात्रा है और वह दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्यंग तथा जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची से भी अलग-अलग मुलाकात करेंगे।
APEC की स्थापना 1989 में वैश्विक व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने तथा क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए हुई थी। लेकिन अब इस क्षेत्र को अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा, सप्लाई चेन चुनौतियाँ, जनसंख्या में गिरावट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से रोजगार पर असर जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति और टैरिफ बढ़ाने के फैसलों ने कई देशों की चिंता बढ़ाई है और वैश्वीकरण को खतरे में डाल दिया है।
सम्मेलन की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति ली ने कहा कि सभी देश हमेशा एकमत नहीं हो सकते, लेकिन साझा समृद्धि के लिए साथ आना आवश्यक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि तेजी से बदलते अंतरराष्ट्रीय आर्थिक माहौल में संवाद और सहयोग से आगे का रास्ता निकाला जा सकेगा।
ट्रंप और शी की 100 मिनट की बैठक के बाद भी दोनों देशों के बीच तनाव की संभावना बनी हुई है, क्योंकि दोनों ही वैश्विक तकनीक और विनिर्माण क्षेत्र में बढ़त हासिल करने की कोशिश में लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक भले ही बड़े संकट को टालने में मददगार रही हो, लेकिन APEC का मकसद केवल व्यापार युद्ध को रोकना नहीं है, बल्कि क्षेत्र की आर्थिक चुनौतियों का मिलकर समाधान ढूँढना है।
दक्षिण कोरिया सभी 21 सदस्य देशों की सहमति से एक संयुक्त बयान जारी करने की कोशिश कर रहा है ताकि 2018 की तरह इस बार बयान जारी करने में विफलता न हो। हालांकि, सभी देशों की राय एक जैसी नहीं होने के कारण मुक्त व्यापार पर मजबूत सहमति बनना मुश्किल माना जा रहा है। इस वर्ष APEC की थीम है — “एक स्थायी कल का निर्माण: जुड़ें, नवाचार करें, समृद्धि लाएँ।” सम्मेलन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और जनसांख्यिकीय चुनौतियों जैसे विषयों पर भी चर्चा होगी।

 
                         
                       
                      