सरदार पटेल के आदर्शों से पूरा होगा भारत को विकसित देश बनाने का संकल्प : आरिफ मोहम्मद

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत को विकसित और अग्रणी देश बनाने का जो संकल्प हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिया, उसे मूर्ति रूप देने के लिए हमे सरदार वल्लभभाई पटेल के आदर्शों को लेना होगा, जिसके लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान गुरुवार को लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में दिल्ली विधानसभा में आयोजित “सरदार पटेल और भारत के एकीकरण की यात्रा” संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले आरिफ मोहम्मद खान ने दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के साथ परिसर में आयोजित विशेष प्रदर्शनी सरदार पटेल और भारत के एकीकरण की यात्रा का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। इसके मौके पर दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा और गुजरात के बारडोली स्थित स्वराज आश्रम की प्रशासिका निरंजनाबेन कलार्थी मौजूद रहीं।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सरदार पटेल भारत की एकता और अखंडता को एक देखना चाहते थे। आजादी से पहले अंग्रेजों के शासन के साथ भारत में राजा रजवाड़ों का भी शासन था। भारत पर ब्रिटिश सरकार के कब्जे के अलावा दो तिहाई भागों पर राजा रजवाड़ों का कब्जा था। देश की आजादी के समय यहां 565-66 रियासतों का कब्जा था, वैसे यह कुछ संख्या 554 थीं, क्योंकि कुछ रियासतें बड़ी रियासतों के अधीन थीं। सरदार पटेल ने सभी रियासतों को भारत में विलय कराकर अदृभूत कार्य किया। भारत के एकीकरण के सरदार पटेल के कार्य की प्रशंसा लंदन टाइम्स के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों में हुई।
राज्यपाल खान ने कहा कि सरदार पटेल ने कहा था कि हमारे पास मतदान का अधिकार है, लेकिन हम इसका उचित तरीके से प्रयोग करना ही नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हमारी सरकार का समय बेकार के मुद्दों पर ज्यादा बीत रहा है। इससे काम के मुद्दों पर चर्चा के लिए हमारी सरकार के पास समय नहीं रहता है। हमारा ध्यान दूसरों की आलोचन में ज्यादा बर्बाद हो रहा है।
अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कि सरदार पटेल ने भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का जीवन हमें याद दिलाता है कि एकता कोई नारा नहीं, बल्कि एक पवित्र कर्तव्य है और अनुशासन, निष्ठा और निःस्वार्थ सेवा के पटेल के आदर्श भारत की प्रगति और उद्देश्य को प्रेरित करते रहेंगे। राष्ट्र राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है, ऐसे में गुप्ता ने सभी से सरदार पटेल द्वारा स्थापित एकता और उनके मूल्यों को बनाए रखने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में राष्ट्र सरदार पटेल के इस शाश्वत संदेश की पुष्टि करता है कि भारत की असली ताकत उसके लोगों की एकता और उसकी संस्थाओं की अखंडता में निहित है।
निरंजनाबेन कलार्थी ने सरदार पटेल को भारत के प्रशासनिक ढांचे के निर्माता और असाधारण करुणा के प्रतीक नेता के रूप में श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्ष 1928 के सफल बारदोली सत्याग्रह के बाद स्थापित बारदोली स्थित स्वराज आश्रम के साथ अपने बचपन के जुड़ाव को याद करते हुए उन्होंने बचपन में सरदार पटेल से हुई मुलाकात को याद किया। उन्होंने कहा, वे भारत की एकता के स्तंभ थे, फिर भी वे इतने कोमल हृदय वाले थे कि बच्चों से बहुत विनम्रता से बात करते थे। उन्हें न केवल भारत का लौह पुरुष, बल्कि करुणा और विनम्रता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने सभी से उनके आदर्शों को बनाए रखने का आग्रह किया ताकि भारत की एकता और अखंडता सदैव बनी रहे।
मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि सरदार पटेल की विरासत सदैव अमर रहेगी, जो शक्ति, अखंडता और भारत की एकता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन पर प्रकाश डालते हुए मिश्रा ने कहा कि शायद, कई अन्य महान हस्तियों की तरह, सरदार पटेल को भी सत्ताधारियों ने भुला दिया होगा, लेकिन यह हमारे प्रधानमंत्री ही थे जिन्होंने सुनिश्चित किया कि यह अन्याय जारी न रहे। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस स्मारकीय श्रद्धांजलि के माध्यम से सरदार पटेल के आदर्श न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में अमर हो गए हैं। अपने भाषण के समापन पर मिश्रा ने कहा कि जब तक सरदार पटेल जैसा भारत माता का एक भी सच्चा सपूत मौजूद है, कोई भी ताकत इस देश को विभाजित नहीं कर सकती।

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