1 या 2 नवंबर देवउठनी एकादशी कब है? इस दिन चार महीने की योग निद्रा से जागेंगे भगवान विष्णु
धर्म { गहरी खोज } : देवउठनी एकदशी का सभी एकादशी तिथियों में सर्वाधिक महत्व बताया गया है। ये वो दिन होता है जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। भगवान के जागृत अवस्था में आते ही चातुर्मास का समापन हो जाता है जिससे शुभ-मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत हो जाती है। पंचांग अनुसार ये एकादशी हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इसे प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। चलिए आपको बताते हैं इस साल देव उठनी एकादशी किस दिन मनाई जाएगी।
देव उठनी एकादशी कब है 2025
देव उठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी और इस एकादशी का पारण समय 2 नवंबर की दोपहर 01:11 से 03:23 बजे तक रहेगा। पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय दोपहर 12:55 का है।
गौण देवउत्थान एकादशी
गौण देवउत्थान एकादशी व्रत 2 नवंबर को है और पारण का समय 3 नवंबर की सुबह 06:34 से 08:46 बजे तक रहेगा।
देव उठनी एकादशी कैसे मनाते हैं
इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनानी चाहिए।
फिर एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, सिंघाड़े, ऋतुफल, मिठाई, बेर और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए।
रात के समय में भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का विधि विधान पूजन करना चाहिए और घर के बाहर दीपक जलाने चाहिए।
रात में भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर पूरी श्रद्धा भाव से उठाना चाहिए और इस समय ये वाक्य दोहराना चाहिए- उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास
इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें।
देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का महत्व
कई लोग देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन करते हैं। इस दिन तुलसी के पौधे का भगवान शालिग्राम से विवाह कराया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि जिन दंपत्तियों के कन्या नहीं होती उन्हें अपने जीवन में एक बार तो तुलसी विवाह का आयोजन जरूर ही करना चाहिए।
