इस दिन माता लक्ष्मी ने की थी आंवले के पेड़ की पूजा, जानिए आंवला नवमी की पौराणिक कथा

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धर्म { गहरी खोज } :आंवला नवमी को अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है। कहते हैं इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताया गया है आंवला नवमी के दिन किया गये पुण्य कर्मों का फल जन्म-जन्मान्तर तक खत्म नहीं होता है। इसलिए ये दिन दान, पूजा, भक्ति, सेवा आदि कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन पकाया जाता है और परिवार के सभी लोग इस भोजन को ग्रहण करते हैं। चलिए आपको बताते हैं आंवला नवमी की पौराणिक कथा।

आंवला नवमी की व्रत कथा
आंवला नवमी की पौराणिक कथा अनुसार एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करने आईं और रास्ते में उनके मन में भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने की इच्छा प्रकट हुई। फिर माता सोचने लगीं कि इन दोनों देवताओं को एक साथ कैसे पूजा जा सकता है। तब उन्होंने महसूस किया कि तुलसी और बेल की गुणवत्ता एक साथ आंवले के पेड़ में ही पाई जाती है। तब माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर उसकी विधि विधान पूजा की। इस पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव प्रकट हुए। जिसके बाद लक्ष्मी माता ने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन तैयार किया और उसे श्री विष्णु और भगवान शिव को परोसा। इसके बाद इस भोजन को स्वयं प्रसाद रूप मे ग्रहण किया। कहते हैं जिस दिन ये घटना हुई थी उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी की तिथि थी। कहते हैं तब से ही इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा शुरू हो गई।

आंवला नवमी की पूजा का मुहूर्त 2025
अक्षय नवमी – 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय – 06:32 AM से 10:03 AM
नवमी तिथि प्रारम्भ – 30 अक्टूबर 2025 को 10:06 AM बजे
नवमी तिथि समाप्त – 31 अक्टूबर 2025 को 10:03 AM बजे

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