100 दिनों से ‘मौन’: कांग्रेस का धनखड़ पर निशाना, बोली- विदाई समारोह अभी तक लंबित

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे के बाद 100 दिनों से पूरी तरह “मौन” साध रखा है और यह भी कहा कि विपक्ष लगातार यह कहता आ रहा है कि उन्हें भी उनके पूर्ववर्तियों की तरह विदाई समारोह मिलना चाहिए, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। कांग्रेस के संचार विभाग के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि आज भारतीय राजनीतिक इतिहास की एक “अभूतपूर्व घटना” को ठीक 100 दिन हो गए।
उन्होंने एक्स पर लिखा, “21 जुलाई की रात अचानक और चौंकाने वाले तरीके से भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया। यह स्पष्ट था कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया — जबकि वह दिन-रात प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते रहते थे।”कांग्रेस नेता ने कहा कि 100 दिनों से प्रतिदिन सुर्खियों में रहने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति पूरी तरह “चुप — न दिखे, न सुने गए” हैं। रमेश ने आगे कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के तौर पर विपक्ष के कभी खास मित्र नहीं रहे।
“वह विपक्ष को लगातार और अनुचित तरीके से टोकते रहते थे। फिर भी, लोकतांत्रिक परंपराओं के तहत विपक्ष कहता रहा है कि उन्हें कम से कम एक विदाई समारोह का हक है, जैसा उनके सभी पूर्ववर्तियों को मिला। लेकिन ऐसा नहीं हुआ,” उन्होंने कहा। धनखड़ के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने दावा किया था कि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देने के पीछे असली वजह “काफी गहरी” है। कांग्रेस ने कहा था कि उनका इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है लेकिन उन लोगों के बारे में भी कम नहीं, जिन्होंने उन्हें इस पद तक पहुँचाया। विपक्षी दल ने सरकार से उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर स्पष्टीकरण देने की मांग भी की थी।
गौरतलब है कि धनखड़ ने 21 जुलाई को अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा और तत्काल प्रभाव से पद छोड़ दिया। 74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था। राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल में उनकी विपक्ष से कई बार तीखी बहसें हुईं और विपक्ष ने उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव भी लाया था, जिसे बाद में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने ख़ारिज कर दिया था। सी. पी. राधाकृष्णन ने 12 सितंबर को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। धनखड़ इस समारोह में मौजूद थे, जो इस्तीफे के बाद उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी।

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