क्या होता है राजयोग, कुंडली में कैसे बनता है? जानें कब होता है प्रभावशाली
धर्म { गहरी खोज } : कुंडली में ग्रहों की कुछ विशेष स्थितियों में राजयोग का निर्माण होता है। नाम से ही पता चलता है कि राजयोग के बनने से व्यक्ति को लाभ की प्राप्ति होती है। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी कुडंली में कोई-न-कोई राजयोग बने। हालांकि, राजयोग को लेकर कुछ लोगों का यह सवाल भी होता है कि उनकी कुंडली में राजयोग तो है लेकिन इसका कोई फल उन्हें नहीं मिल रहा। इसी तरह के सभी सवालों का जवाब आज हम आपको अपने इस लेख में देंगे।
राजयोग क्या है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राजयोग कुंडली में मौजूद एक या एक से अधिक ग्रहों की वह स्थिति है जिसके प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं। राजयोग के बनने से धन-धान्य, पद-प्रतिष्ठा, सम्मान व्यक्ति को प्राप्त होता है। ज्योतिष में विभिन्न प्रकार के राजयोगों के बारे में बताया गया है। इन राजयोगों में पंच महापुरुष राजयोग, बुधादित्य राजयोग, राज-लक्ष्मी राजयोग, गजकेसरी राजयोग, लक्ष्मी योग, परिजात योग आदि प्रमुख हैं। हालांकि इनके अलावा भी कई राजयोग ज्योतिष में मौजूद हैं।
पंच महापुरुष राजयोग
इस राजयोग का निर्माण चब होता है जब बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और मंगल में से कोई भी ग्रह अपनी उच्च राशि या फिर अपनी स्वराशि में केंद्र के घरों में विराजमान हो। पहले, चौथे, सातवें, और दसवें भाव को कुंडली में केंद्र का भाव कहा जाता है।
बुध अगर केंद्र भाव में अपनी राशियों में हो तो भद्र योग का निर्माण होता है जो व्यक्ति को तार्किक बनाता है और व्यवसाय में लाभ दिलाता है। गुरु अगर केंद्र भाव में अपनी राशियों या उच्च राशि में हो तो हंस योग का निर्माण होता है जो सुख-समृद्धि प्रदान करता है। शुक्र अगर केंद्र भाव में अपनी राशियों में हो या उच्च राशि हो तो मालव्य योग बनता है जो व्यक्ति को जीवन में लाभ देता है और ऐसे लोग रचनात्मक कार्यों में भी लाभ पाते हैं। मंगल अगर केंद्र भाव में अपनी राशियों या उच्च राशि में हो तो रूचक योग का निर्माण होता है जो व्यक्ति को साहसी और अच्छा लीडर बनाता है। शनि अगर केंद्र भाव में अपनी राशियों या उच्च राशि में हो तो शश योग का निर्माण होता है ऐसा व्यक्ति सरकारी क्षेत्रों में लाभ पाता है और बड़े घर में रहता है।
बुधादित्य राजयोग
जब कुंडली के किसी भाव में सूर्य और बुध एक साथ विराजमान होते हैं तो बुधादित्य राजयोग का निर्माण होता है। इस योग के बनने से करियर के क्षेत्र में व्यक्ति को लाभ होता है और ऐसे लोग बुद्धिमान भी मान जाते है। यह योग बनने से व्यक्ति उच्च पदों तक पहुंच सकता है।
गजकेसरी राजयोग
जब कुंडली के किसी भाव में बृहस्पति और चंद्रमा एक साथ होते हैं, या फिर दोनों एक दूसरे से सप्तम भाव में होते हैं तो गजकेसरी योग बनता है। यह योग तब सबसे प्रभावी माना जाता है जब यह दोनों ग्रह केंद्र भाव में अपनी राशियों या फिर अपनी उच्च राशि में हों। इस योग के बनने से आर्थिक समृद्धि और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। ऐसे लोग समाज में भी सम्मानित होते हैं।
राज-लक्ष्मी राजयोग
इस राजयोग का निर्माम कुंडली में तब होता है जब पहले भाव और नवम भाव के बीच में शुभ संबंध हो। दोनों एक दूसरे के साथ शुभ स्थानों में विराजमान हों या दोनों ग्रह मित्र हों और दृष्टि, युति या किसी भी तरह से एक दूसरे से संबंध रखते हों। इस योग के बनने से व्यक्ति जीवन में अपार धन कमाता है और उसके पास सुख-सुविधा की हर वस्तु होती है।
परिजात योग
इस राजयोग का निर्माण तब होता है जब लग्न का स्वामी उच्च स्थान में हो और शुभ ग्रहों से संबंध रखता हो। इस योग के बनने से व्यक्ति को उच्च पदों की प्राप्ति होती है और ऐसा व्यक्ति समाज के गणमान्य लोगों में शामिल हो सकता है।
लक्ष्मी योग
लक्ष्मी योग कुंडली में तब बनता है जब भाग्य भाव यानि की 9वें भाव का स्वामी पहले, पांचवें या दसवें घर में शुभ ग्रहों के साथ विराजमान रहता है। इस योग के बनने से धन-धान्य की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही व्यक्ति पारिवारिक जीवन में भी सुख मिलता है।
राशि परिवर्तन राजयोग
यह योग तब बनता है जब दो ग्रह एक दूसरे की राशि में विराजमान होते हैं। उदाहरण के लिए- बुध अगर मंगल की राशि (मेष-वृश्चिक) में हो और मंगल, बुध की राशि (मिथुन-कन्या) में हो तो यह राजयोग बनता है। इस योग के बनने से दोनों ग्रह एक दूसरे को बल देते हैं। ऐसी स्थिति में अचानक से व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त हो सकती है।
विपरीत राज
यह योग तब बनता है जब अशुभ ग्रह आपस में संबंध बनाते हैं। कुंडली के 6, 8 और 12 भाव के स्वामी को अशुभ ग्रह माना जाता है। इस योग के बनने से शुरुआती जीवन में व्यक्ति को संघर्ष करना पड़ सकता है लेकिन उसके बाद जबरदस्त सफलता ऐसे लोगों को मिलती है।
राजयोग क्या हमेशा लाभदायक होता है, जानें कब होता है प्रभावशाली?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में राजयोग होने के साथ ही इसका सक्रिय यानि एक्टिव होना भी जरूरी होता है। राजयोग बनने के साथ ही ग्रहों की दशा, अंतर्दशा भी अगर अनुकूल हो तभी राजयोग फलित होता है। वहीं राजयोग कुंडली में बना हो लेकिन इस पर बुरे ग्रहों की दृष्टि हो तब भी यह अपना अच्छा परिणाम प्रदान नहीं कर पाता। इसके साथ ही राजयोग में स्थित ग्रह यदि कुंडली में कारक न हो तब भी राजयोग का असर नहीं होता। ऐसे में भले ही राजयोग अच्छे परिणाम न दे लेकिन इससे आपके जीवन पर कोई बुरा प्रभाव भी देखने को नहीं मिलता। कुल मिलाकर कुंडली में राजयोग होने के साथ ही अन्य स्थितियों को भी ध्यान में रखना चाहिए, इसके लिए आप योग्य ज्योतिषाचार्य से सलाह ले सकते हैं।
