केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण जम्मू कश्मीर लोकायुक्त नियुक्त नहीं कर सकता: मुख्यमंत्री
श्रीनगर{ गहरी खोज }: जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर सकता क्योंकि भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की स्थापना का अधिकार केवल राज्यों के पास है। माकपा विधायक एम वाई तारिगामी ने लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए जम्मू कश्मीर में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए विधानसभा में एक निजी विधेयक पेश किया था। हालांकि, मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 63 में प्रत्येक राज्य में भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी का प्रावधान है।
अब्दुल्ला ने तारिगामी से विधेयक वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा, “लेकिन, हम एक राज्य नहीं हैं। जब हम एक राज्य बनेंगे तो हम ऐसा करेंगे। लेकिन एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में यह हमारे लिए मुश्किल होगा”। हालांकि, माकपा विधायक ने पूछा कि जब तक जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल नहीं हो जाता तब तक कानून बनाने वालों और मंत्रियों सहित सभी स्तरों पर समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का क्या तरीका है?
कुलगाम से माकपा विधायक ने कहा, “हमें नहीं पता कि केंद्र सरकार ने राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए क्या समय-सीमा तय की है। अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। तब तक क्या व्यवस्था होगी? केंद्र शासित प्रदेशों में इसके लिए संस्थाएं मौजूद हैं। हो सकता है कि जब तक हमें अपना राज्य का दर्जा वापस नहीं मिल जाता, तब तक हम भी ऐसी ही व्यवस्था कर सकें।” जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसा नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में कोई तंत्र नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “एक केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते हम केंद्र सरकार के सभी कानूनों और जांच एजेंसियों के दायरे में आते हैं। हम सभी उस दायरे में आते हैं। (जम्मू कश्मीर) भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का अपना दायरा है। हम और सभी भ्रष्टाचार को लेकर चिंतित हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि कोई व्यवस्था ही नहीं है।” सरकार द्वारा निजी विधेयक को पेश किये जाने का विरोध किये जाने के बाद तारिगामी ने इसे वापस ले लिया।
