भारत 2030 तक कोयला आधारित बिजली उत्सर्जन के चरम पर पहुंचने की राह पर, स्वच्छ ऊर्जा में तेज़ बढ़त: CREA

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: अगर भारत अपनी 500 गीगावॉट (GW) गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य पूरा कर लेता है, तो देश 2030 से पहले ही कोयला आधारित बिजली उत्सर्जन के चरम पर पहुंच सकता है। यह जानकारी मंगलवार को प्रकाशित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक नई विश्लेषण रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, भारत और इंडोनेशिया, जो कोयले की खपत में दुनिया के सबसे बड़े बाज़ार और पेरिस समझौते के बाद से वैश्विक CO2 उत्सर्जन में शीर्ष योगदानकर्ता रहे हैं, स्वच्छ ऊर्जा की रफ्तार बरकरार रख पाने पर 2030 तक बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन के चरम पर पहुंचने की राह पर हैं। 2024 में वैश्विक कोयला खपत का 73 प्रतिशत हिस्सा इन तीन देशों से आया था। अध्ययन के अनुसार, भारत में स्वच्छ बिजली की वृद्धि तेज़ हुई है — 2024 में रिकॉर्ड 29 GW गैर-जीवाश्म क्षमता जुड़ी और 2025 की पहली छमाही में 25 GW और जोड़े गए।
CREA के विश्लेषक मनोेज कुमार ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित 500 GW गैर-जीवाश्म क्षमता हासिल करने से भारत 2030 से पहले ही कोयला आधारित बिजली के चरम पर पहुंच सकता है। देश पहले ही 50 प्रतिशत लक्ष्य को 2030 की समयसीमा से काफी पहले पार कर चुका है, जबकि बिजली की मांग आर्थिक व जनसंख्या वृद्धि के साथ बढ़ रही है।” उन्होंने आगे कहा कि ग्रिड की लचीलापन, भंडारण और ट्रांसमिशन को मजबूत करना इस गति को बनाए रखने और विश्वसनीय, किफायती बिजली सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिस्पर्धी नवीकरणीय ऊर्जा नीलामी और महत्वाकांक्षी विनिर्माण लक्ष्यों वाली राष्ट्रीय नीतियों ने भारत को तेज़ी से बढ़ते सौर निर्माण केंद्र में बदल दिया है। मध्य-2025 में भारत की सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता 118 GW थी, जो 2028 तक 200 GW होने का अनुमान है। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य मजबूत होंगे।
CREA के सह-संस्थापक लॉरी मायलिविरटा ने कहा कि चीन अब इतनी नई स्वच्छ बिजली जोड़ चुका है कि वह अपनी नई बिजली मांग वृद्धि को पूरी तरह कवर कर सके। इससे 2024 से कोयला आधारित बिजली और उत्सर्जन में गिरावट देखी गई है। इंडोनेशिया में, राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियान्तो का 100 GW सौर कार्यक्रम 2030 तक कोयला आधारित बिजली उत्पादन को चरम पर पहुंचा सकता है। हालांकि, रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि तीनों देश अभी भी बड़े पैमाने पर कोयला आधारित क्षमता बढ़ा रहे हैं, जो उनकी ऊर्जा संक्रमण प्रक्रिया के लिए मुख्य जोखिम है। भारत 2035 तक 100 GW नई कोयला क्षमता जोड़ने की योजना बना रहा है, जबकि चीन में 230 GW निर्माणाधीन है।
रिपोर्ट ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा, आयात निर्भरता कम करना और विनिर्माण निवेश आकर्षित करना तीनों देशों की साझा प्राथमिकताएं हैं। लेकिन 2030 के बाद स्वच्छ ऊर्जा वृद्धि को बनाए रखने के लिए मजबूत नीतियां, आधुनिक ग्रिड और राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी होगी।
अगर यह संक्रमण सफल होता है, तो चीन, भारत और इंडोनेशिया ब्रिक्स देशों — ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, यूएई और इथियोपिया — की तरह बिजली क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन के चरम पर पहुंचने वाले देशों की सूची में शामिल हो जाएंगे।

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