बिहार विधानसभा चुनाव : उथल-पुथल भरी दुनिया में स्थिर भारत का भरोसा तलाश रहा बिहार

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  • बिहार विधालसभा चुनाव देगा नया संदेश, मतदाता बदल रहे राजनीति की परिभाषा
  • मजबूत भारत-सुरक्षित बिहार…राजग का नारा या मतदाताओं की नई सोच?

पटना{ गहरी खोज }: बिहार का यह चुनाव केवल विधानसभा की लड़ाई नहीं, बल्कि एक विचार की परीक्षा है। क्या भारत को स्थिर,निर्णायक और जिम्मेदार नेतृत्व चाहिए? दुनिया के बदलते हालातों के बीच बिहार की जनता इस सवाल का जवाब देने जा रही है। हो सकता है यह चुनाव नतीजों से ज्यादा, एक ‘वैचारिक संदेश’ के लिए याद किया जाए कि जब दुनिया उथल-पुथल में हो, तो भारत की जनता स्थिरता को चुनती है।
वरिष्ठ पत्रकार लवकुश मिश्रा की मानें, तो इस बार बिजली, सड़क, पानी मुद्दा नहीं है, शिक्षा-रोजगार-उद्योग मुद्दा जरूर है। बिहार के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज भी एक विश्वास हैं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी ब्राण्ड हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के हालात तेजी से बदल रहे हैं। पश्चिम एशिया में युद्ध, रूस-यूक्रेन टकराव,एशिया में शक्ति संतुलन की नई बिसात और वैश्विक अर्थव्यवस्था की उठापटक जैसे माहौल में भारत एक उभरती शक्ति के रूप में नजर आ रहा है। यही कारण है कि देश के हर चुनाव में अब सवाल सिर्फ रोजगार,शिक्षा या सड़क तक सीमित नहीं, बल्कि कौन भारत को सुरक्षित और मजबूत रख सकता है? बिहार विधानसभा चुनाव में यह सवाल और गहराई से गूंज रहा है।
पत्रकार लवकुश मिश्रा ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की भूमिका अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बढ़ी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी—20 से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक भारत को निर्णायक आवाज दी है। वहीं, अमेरिका, रूस और यूरोप के बीच संतुलन बनाना भी भारत की विदेश नीति की नई ताकत के रूप में देखा जा रहा है। इस माहौल में बिहार के मतदाता भी कह रहे हैं कि अब हमें सिर्फ स्थानीय नहीं, राष्ट्रीय सोच वाला नेतृत्व चाहिए।
मुजफ्फरपुर निवासी युवा मतदाता सुधीर कुमार गुप्ता कहते हैं कि दुनिया में जैसे हालात हैं, भारत को कमजोर सरकार नहीं चाहिए। मजबूत नेतृत्व ही देश को दिशा दे सकता है। बिहार को भी वैसा नेतृत्व चाहिए, जो देश के साथ कदम मिलाकर चले। उनके साथी रवि ने कहा कि रोजगार तो जरूरी है, लेकिन अगर देश कमजोर हुआ, तो सब बेकार। हमें ऐसा नेता चाहिए, जो भारत की ताकत बढ़ाए और बिहार को भी सुरक्षा और सम्मान दे। मतदाताओं के ऐसे विचार इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बिहार की राजनीति में पहली बार वैश्विक घटनाओं का अप्रत्यक्ष असर दिख रहा है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) इस बार चुनाव में मजबूत भारत, सुरक्षित बिहार को केंद्रीय थीम बना रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप दूबे कहते हैं कि दुनिया में जो उथल-पुथल है, उसमें भारत को स्थिर और निर्णायक सरकार की जरूरत है। बिहार के लोग जानते हैं कि मजबूत भारत तभी बनेगा, जब हर राज्य मजबूत होगा। भाजपा की रणनीति साफ है-राष्ट्रीय सुरक्षा, आत्मनिर्भर भारत और विकास के मुद्दों को स्थानीय स्तर पर जोड़कर मतदाताओं तक पहुंचाना।
युवा मतदाता अमरेश कहते हैं कि अब चुनाव में सिर्फ जातीय समीकरण नहीं चलेगा। देश की स्थिति देखकर युवा सोचने लगा है कि कौन भारत को सही दिशा दे सकता है। वैश्विक दौर में जब भारत तकनीक, रक्षा और अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ रहा है, तो बिहार को भी वही ऊर्जा चाहिए। हमें विकास की राजनीति चाहिए।
युवा पीढ़ी चाहती है कि भारत की ताकत सिर्फ बाहरी नहीं, आंतरिक भी हो। युवा मतदाता अमरेश कहते हैं कि हमें ऐसा नेतृत्व चाहिए जो रोजगार दे, लेकिन साथ ही देश का मान-सम्मान भी बचाए। ताकत सिर्फ सैन्य नहीं, आर्थिक भी होनी चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषक संतोष चौधरी का मानना है कि वैश्विक अस्थिरता के बीच प्रधानमंत्री मोदी की छवि निर्णायक नेता की बन चुकी है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर मोदी की छवि का असर घरेलू राजनीति पर पड़ रहा है। मतदाता अब सुरक्षा, स्थिरता और वैश्विक प्रतिष्ठा को भी वोट देने का कारण मानने लगे हैं। बिहार इसका अपवाद नहीं है। जहां पहले गांवों में चर्चा होती थी-सड़क कब बनेगी? अब सवाल है, देश का भविष्य किसके हाथों में सुरक्षित रहेगा? रोहतास जनपद के रहने वाले चन्द्रमा तिवारी कहते हैं कि आज दुनिया में भारत का नाम है, लेकिन अगर राजनीति अस्थिर हुई, तो सब कुछ खतरे में पड़ जाएगा। हमें जातीय नेता या पार्टी नहीं, स्थिर सरकार चाहिए। इस तरह पहली बार बिहार की ग्रामीण राजनीति में विश्व राजनीति की परछाई दिख रही है।
बिहार में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे पारंपरिक मुद्दे अब भी मौजूद हैं, लेकिन मतदाता इस बार के चुनाव को राष्ट्र की स्थिरता से जोड़कर देख रहे हैं। मतदाता लल्ली तिवारी,चर्तुभुज चौधरी और संतोष ने कहा कि देश सुरक्षित रहेगा, तो राज्य भी आगे बढ़ेगा। इस बार यह भावना खासकर युवाओं और मध्यम वर्ग के मतदाताओं में खासा दिखाई दे रहा है।
बिहार की शिक्षित महिला मतदाता भी कह रही हैं कि उन्हें सुरक्षा और सम्मान दोनों चाहिए। कोचस की शारदा देवी, बिन्दु और आकांक्षा देवी ने कहा कि अगर देश मजबूत होगा, तो महिलाओं की सुरक्षा भी बढ़ेगी। हमें स्थिर सरकार चाहिए जो कानून पर सख्त और समाज के प्रति संवेदनशील हो। महिलाओं के बीच यह भावना राजग के लिए सकारात्मक माहौल बना रही है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार जातीय समीकरणों की भूमिका तो रहेगी, लेकिन निर्णायक नहीं। आरा के रहने वाले राजेंद्र तिवारी कहते हैं कि अब बिहार में जाति नहीं, नेतृत्व का भरोसा काम करेगा। मतदाता वैश्विक हालात समझ रहे हैं। वे ऐसे नेतृत्व को मौका देना चाहते हैं, जो न सिर्फ बिहार, बल्कि भारत को भी आगे ले जा सके।
राजनीतिक जानकार राजन पाण्डेय कहते हैं कि यह चुनाव सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि नेतृत्व के भरोसे का भी है। मतदाता श्रीमोहन राय और सीताराम राय कहते हैं कि बिहार का मतदाता अब स्थानीय हितों से ऊपर सोच रहा है। यह संकेत है कि भारतीय लोकतंत्र परिपक्व हो रहा है। दुनिया में उथल-पुथल जितनी बढ़ेगी, भारत में स्थिरता की चाह उतनी ही मजबूत होगी। दूसरी ओर महागठबंधन के नेता यह कहते नहीं थक रहे हैं कि मजबूत हाथों की बात सिर्फ भावनात्मक प्रचार है। राजद के एक प्रवक्ता का कहना है कि लोग पेट और रोजगार की चिंता में हैं। दुनिया की ताकतें भारत को देख रही हैं, लेकिन बिहार में युवा पलायन को मजबूर हैं। यहां हमें मजबूत अर्थव्यवस्था चाहिए, न कि सिर्फ नारों की मजबूती।

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