समुद्री क्षेत्र भारत की शक्ति, स्थिरता और सततता का प्रतिनिधित्व करता है: अमित शाह

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मुंबई{ गहरी खोज }: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मुंबई में सोमवार को कहा कि समुद्री क्षेत्र भारत की शक्ति, स्थिरता और सततता का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि यह भारत का समुद्री क्षण है, जो भारत के प्रवेश द्वार को विश्व के प्रवेश द्वार में बदल रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए गहन संरचनात्मक सुधारों के कारण भारत आज वैश्विक समुद्री मानचित्र पर एक उभरती हुई शक्ति के रूप में खड़ा है।
अमित शाह ने सोमवार को गोरेगांव के नेस्को प्रदर्शनी केंद्र में भारत समुद्री सप्ताह (आईएमडब्ल्यू) 2025 का उद्घाटन किया, जो दुनिया के सबसे बड़े समुद्री सम्मेलन की शुरुआत का प्रतीक है। ”महासागरों को एकजुट करना, एक समुद्री दृष्टिकोण विषय पर आयोजित इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में 85 देशों के 1,00,000 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं, जिनमें 500 प्रदर्शक, 350 वक्ता और 12 समवर्ती सम्मेलन और प्रदर्शनियां शामिल हैं। आईएमडब्ल्यू 2025 भारत के समुद्री पुनरुत्थान और 2047 तक देश को वैश्विक समुद्री क्षेत्र में अग्रणी बनाने के उसके दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।
गृह मंत्री शाह ने कार्यक्रम में कहा कि भारत की रणनीतिक स्थिति और विस्तृत तटरेखा उसे अद्वितीय समुद्री लाभ प्रदान करती है। हमारी 11,000 किलोमीटर लंबी तटरेखा, 13 तटीय राज्य और 23.7 लाख वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र भारत को एक प्राकृतिक समुद्री शक्ति बनाते हैं। हमारे सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 60 प्रतिशत तटीय राज्यों का योगदान है और लगभग 80 करोड़ लोग अपनी आजीविका के लिए समुद्र पर निर्भर हैं।
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत के बढ़ते नेतृत्व पर प्रकाश डालते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अपनी समुद्री स्थिति, लोकतांत्रिक स्थिरता और नौसैनिक क्षमता का लाभ उठाते हुए भारत हिन्द-प्रशांत और वैश्विक दक्षिण के बीच एक सेतु का काम कर रहा है और विकास, सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रगति को बढ़ावा दे रहा है। शाह ने जोर देकर कहा कि सरकार की समुद्री नीति, जो प्रधानमंत्री मोदी के महासागर (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) के दृष्टिकोण पर आधारित है, का उद्देश्य वैश्विक समुद्री केंद्र के रूप में भारत की भूमिका को मज़बूत करना है। उन्होंने कहा कि भारत की समुद्री ताकत प्रतिस्पर्धा में नहीं, बल्कि सहयोग में निहित है। हमारा लक्ष्य एक हरित समुद्री भविष्य का निर्माण करना है जो प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखते हुए विकास को गति प्रदान करे।
इस मौके पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने समुद्री सप्ताह 2025 को भारत की समुद्री यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया। उन्होंने कहा कि यह शिखर सम्मेलन नीतिगत सुधार, डिजिटल परिवर्तन और रिकॉर्ड निवेश के माध्यम से भारत को दुनिया की शीर्ष समुद्री शक्तियों में स्थान दिलाने के सरकार के दृढ़ संकल्प को रेखांकित करता है। सोनोवाल ने कहा कि भारत वर्तमान में लगभग 10 प्रतिशत समुद्री व्यापार संभालता है और हमारा लक्ष्य 2047 तक इसे तीन गुना करना है। बंदरगाह क्षमता में चार गुना वृद्धि और डीप-ड्राफ्ट मेगा बंदरगाहों के विकास से इसे बल मिलेगा। उन्होंने बताया कि भारत की बंदरगाह क्षमता लगभग दोगुनी होकर 2,700 मीट्रिक टन प्रति वर्ष हो गई है। माल ढुलाई बढक़र 1,640 एमएमटी हो गई है और अंतर्देशीय जलमार्ग कार्गो पिछले एक दशक में 6.9 एमएमटी से बढ़कर 145 एमएमटी से अधिक हो गया है। भारतीय नाविकों की संख्या 200 प्रतिशत बढ़कर 3.2 लाख हो गई है।
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने स्थिरता, नवाचार और मानव संसाधन विकास पर भारत के फोकस पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत एक स्मार्ट, टिकाऊ और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है जो उद्योग को सशक्त बनाता है, पर्यावरण की रक्षा करता है और भारत को दुनिया से जोड़ता है। भारत समुद्री सप्ताह 2025 के पूर्ण सत्र में वैश्विक समुद्री नेताओं की एक प्रतिष्ठित सूची शामिल की गई है।

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