मप्र में दिवाली की धूम, महाकालेश्वर मंदिर में मनाया गया रूप चतुर्दशी का पर्व

- भगवान महाकाल को उबटन और गर्म जल से स्नान के बाद अन्नकूट भोग अर्पित
उज्जैन/भोपाल{ गहरी खोज }: मध्य प्रदेश में सोमवार को दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सुबह से लक्ष्मी पूजा की तैयारी की जा रही है। पटाखे, मिठाइयां समेत अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए लोग बाजार पहुंच रहे हैं। वहीं, उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार तड़के रूप चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भगवान महाकाल का विशेष शृंगार किया गया। इसके बाद उन्हें अन्नकूट का भोग अर्पित किया गया। इससे पहले पुजारी परिवार की महिलाओं ने भगवान को गर्म जल से स्नान कराकर सुगंधित उबटन लगाया। रूप चतुर्दशी से शुरू हुआ यह पारंपरिक स्नान क्रम फाल्गुन पूर्णिमा, यानी होली के दिन तक चलेगा।
गौरतलब है कि महाकाल मंदिर में सभी त्योहारों को देशभर में सबसे पहले मनाने की परंपरा है। इसी परंपरा के तहत दिवाली के अवसर पर सोमवार तड़के चार बजे भस्म आरती के दौरान भगवान महाकालेश्वर का विधिवत पंचामृत अभिषेक किया गया। अभिषेक के उपरांत महाकालेश्वर मंदिर पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा भगवान को उबटन लगाया गया। इसके पश्चात भां शृंगार कर भगवान महाकालेश्वर को माता लक्ष्मी के भव्य रूप से अलंकृत किया गया। दीपोत्सव महापर्व के उपलक्ष्य में सर्वप्रथम अन्नकूट भोग अर्पित कर आरती संपन्न की गई। इस अवसर पर मंदिर परिसर में भक्तों की उपस्थिति में अत्यंत भक्तिमय वातावरण रहा।
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि मंदिर के पट खुलने के बाद भगवान महाकाल को भांग, चंदन और आभूषणों से सजाया गया। भस्म आरती के दौरान केसर-चंदन का उबटन लगाने के बाद गर्म जल से स्नान कराया गया। इसके उपरांत भगवान को नए वस्त्र पहनाए गए और सोने-चांदी के आभूषणों से राजसी शृंगार किया गया। पूजा के बाद अन्नकूट का भोग लगाकर एक फुलझड़ी से आरती कर दीपावली का उत्सव मनाया गया।
उन्होंने बताया कि रूप चौदस के दिन साल में केवल एक बार पुजारी परिवार की महिलाएं बाबा महाकाल के शृंगार में भाग लेती हैं। इस अवसर पर वे सुगंधित द्रव्यों से विशेष उबटन तैयार करती हैं और भगवान का रूप निखारती हैं। इस दिन की खासियत यह भी है कि विशेष कर्पूर आरती केवल महिलाएं ही संपन्न करती हैं। यह अद्भुत दृश्य भक्तों के लिए आस्था और आनंद से भर देने वाला रहा। पूरा मंदिर परिसर दीपों की रौशनी और भक्ति के वातावरण में दिवाली की तरह जगमगा उठा।
महाकाल मंदिर में रूप चतुर्दशी के अवसर पर भगवान महाकाल को अन्नकूट का भोग अर्पित किया गया। परंपरा के अनुसार, भगवान महाकाल को अन्नकूट सबसे पहले लगाया जाता है। आमतौर पर श्रीकृष्ण मंदिरों में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट लगाया जाता है, लेकिन उज्जैन में यह परंपरा रूप चतुर्दशी के दिन निभाई जाती है। पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि भगवान महाकाल मृत्युलोक के अधिपति माने जाते हैं, इसलिए दीपावली पर्व पर उन्हें अन्नकूट लगाना शुभ माना जाता है। भोग की थाली में धान, खाजा, शक्करपारे, गूंजे, पपड़ी मिठाई के साथ विशेष रूप से मूली और बैंगन की सब्जी अर्पित की गई।
इधर, दीपावली के अवसर पर प्रदेशभर में उत्साह का माहौल का देखने को मिल रहा है। राजधानी भोपाल समेत सभी शहरों से लेकर गांवों तक में नागरिक माता लक्ष्मी की पूजन की तैयारियों में जुटे हैं। बाजार भी सजे हुए हैं और लोग ज्वेलरी, सजावट, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ों की दुकानों में जमकर खरीदारी कर रहे हैं। मिठाई की दुकानों पर भी सुबह से भीड़ उमड़ रही है। सभी बड़े शहरों में सुरक्षा और ट्रैफिक की विशेष व्यवस्था की गई है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। कई जगह मुख्य मार्गों पर रूट डायवर्शन की व्यवस्था की गई है, ताकि पूजा के बाद बाजारों में भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर समेत प्रदेश के सभी शहरों में प्रशासन अलर्ट मोड पर है। आपात स्थिति से निपटने के लिए फोन नंबर जारी किए गए हैं।