दिवाली पर माता लक्ष्मी की आरती ही नहीं बल्कि ये आरतियां भी करना है जरूरी

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धर्म { गहरी खोज } : आज 20 अक्टूबर 2025 को दिवाली का पावन पर्व मनाया जा रहा है। ये दिन माता लक्ष्मी को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात में मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करने आती हैं और ऐसे में जिस घर के लोग माता की विधि-विधान पूजा करके उनकी आरती उतारते हैं उन पर माता की विशेष कृपा बरसती है। कहते हैं मां लक्ष्मी की आरती करने से धन, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। दिवाली पर मां लक्ष्मी ही नहीं बल्कि भगवान गणेश, कुबेर देवता और अन्य देवी-देवताओं की आरती भी जरूर करनी चाहिए।

दिवाली पर कौन-कौन सी आरती करनी चाहिए
लक्ष्मी जी की आरती
गणेश जी की आरती
सरस्वती माता की आरती
काली माता की आरती
विष्णु भगवान की आरती
दिवाली आरती समय 2025

दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की आरती का सबसे शुभ समय शाम 07:08 बजे से रात 08:18 बजे तक रहेगा। तो वहीं जो लोग दिवाली की आधी रात में माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं उनके लिए आरती करने का शुभ समय रात 11:41 से देर रात 12:31 बजे तक रहेगा।

लक्ष्मी जी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

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