सनातन धर्म को मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने के प्रयास से जोड़ने की कोशिश निंदनीयः आदीश अग्रवाल

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आदीश सी. अग्रवाल ने सनातन धर्म को मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने के प्रयास से जोड़ने की कोशिश की निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे समाग्री भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण है जिसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।
डॉ. अग्रवाल ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि यह दुष्प्रचार जानबूझकर किया गया है ताकि सरकार और सनातनी समुदाय की छवि को धूमिल किया जा सके, जबकि इस घटना की पूरे देश में व्यापक निंदा की गई है, जिसमें स्वयं प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, विधि मंत्री, सॉलिसिटर जनरल तथा देशभर की विभिन्न बार काउंसिलों और संघों ने भी शामिल होकर इसकी निंदा की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोपित अधिवक्ता राकेश किशोर किसी ऊंची जाति से नहीं हैं और यह झूठा दावा कि वे ब्राह्मण हैं, केवल इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को साम्प्रदायिक और राजनीतिक रंग देने के उद्देश्य से फैलाया गया।
आरोपित अधिवक्ता के विरुद्ध आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने के निर्णय का स्वागत करते हुए डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यह कदम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि न तो भारत सरकार और न ही सनातन धर्म के अनुयायी इस निंदनीय घटना से किसी भी प्रकार से जुड़े हुए हैं, जिसमें मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने का प्रयास किया गया। उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और सांसद मनन कुमार मिश्रा द्वारा आरोपित अधिवक्ता को प्रैक्टिस से निलंबित करने के त्वरित निर्णय की सराहना की और कहा कि उनका यह कदम न्यायालय की गरिमा और अनुशासन की रक्षा करने वाला है।

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