धन-धान्य योजना से बुंदेलखंड की कृषि में आएगी नई क्रांति : आनंदीबेन पटेल

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राज्यपाल ने कहा, अनुसंधान संस्थानों के सामूहिक प्रयासों से बुंदेलखंड में कृषि की नई क्रांति का संचार संभव

बांदा{ गहरी खोज }: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना बुंदेलखंड की कृषि अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी। यह 24 हजार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना किसानों की आय बढ़ाने और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के सामूहिक प्रयासों से बुंदेलखंड में कृषि की नई क्रांति का संचार संभव है।
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में गुरुवार को राज्यपाल आंनदीबेन पटेल ने 350 छात्राओं सहित स्नातक, परास्नातक एवं पीएचडी के कुल 350 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान कीं। उन्होंने पदक विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि कृषि शिक्षा में छात्राओं की बढ़ती भागीदारी ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण को सुनिश्चित करेगी। राज्यपाल ने कहा कि भारत के गांवों में कृषि कार्यों में महिलाओं की भूमिका सदैव महत्वपूर्ण रही है, अतः कृषि शिक्षा में उनकी सक्रिय भागीदारी समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगी।
उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने खेतों पर जैविक खेती अपनाएं और गांवों में किसानों को इसके प्रति जागरूक करें। पशुधन को कृषि की आत्मा बताते हुए उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संस्थान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहा है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय से जुड़े कृषि विज्ञान केंद्रों के कार्यों की सराहना की और उन्हें किसानों के हित में और प्रभावी बनाने का सुझाव दिया।
समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक एवं कुलपति डॉ. श्रीनिवास राव ने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जल संरक्षण तकनीकें, सूखा सहनशील फसलें और अल्पावधि वाली दलहनी एवं तिलहनी फसलों पर विश्वविद्यालय का शोध अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय को नैक से ‘ए’ ग्रेड मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे सामूहिक परिश्रम का परिणाम बताया।
कुलपति प्रो. एस.वी.एस. राजू ने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस वर्ष 57 नई शोध परियोजनाएं तैयार की गईं और 2363 क्विंटल प्रमाणित बीज का उत्पादन हुआ। विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रों ने 358 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग 10 हजार किसानों को प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में वृहद वृक्षारोपण, योग शिविर और ‘नशा मुक्त भारत’ जैसे जनजागरूकता कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किए गए हैं। राज्यपाल ने समारोह के समापन पर छात्रों से कहा कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग किसानों के जीवन में सुधार लाने के लिए करें और प्रदेश को विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें।

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