कैंसर के बाद Breast निकालने पर फिर से लगाया जा सकता है नया ब्रेस्ट: डॉक्टर

0
breast-cancer-reconstruction-15-10-2025-1760531881

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: भारत में स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर बन चुका है। देश के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में अकेले 1,92,000 से अधिक नए मामले दर्ज किए गए। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से लगभग 60% मामलों की पहचान कैंसर के तीसरे या चौथे चरण में होती है, जब मास्टेक्टॉमी यानी स्तन को पूरी तरह निकालना जीवन रक्षक उपाय बन जाता है। लेकिन ज़्यादातर भारतीय महिलाओं के लिए कैंसर से जंग यहीं खत्म नहीं होती। पश्चिमी देशों में जहां 60% से अधिक महिलाएं मास्टेक्टॉमी के बाद दोबारा स्तन पुनर्निर्माण (ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन) करवाती हैं, वहीं भारत में यह आंकड़ा मुश्किल से 1% तक पहुंचता है। यह अंतर मेडिकल की वजह से नहीं बल्कि जागरूकता की कमी, सामाजिक संकोच, आर्थिक बाधाओं और इस भ्रांति के कारण है कि दोबारा ब्रेस्ट सर्जरी कर लगवाना केवल ब्यूटी प्रोसेस की प्रक्रिया है, न कि मेडिकल ट्रीटमेंट का हिस्सा है।

कैंसर में निकाले गए ब्रेस्ट को क्या फिर लगाया जा सकता है?
डॉक्टर वेंकट रामकृष्णन (लीड, प्लास्टिक और ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी, अपोलो एथेना वीमेंस कैंसर सेंटर, नई दिल्ली) ने बताया ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसके ज़रिए मास्टेक्टॉमी के बाद स्तन का आकार और रूप फिर से बनाया जाता है। इसमें या तो इम्प्लांट का प्रयोग किया जाता है या फिर मरीज के अपने शरीर (जैसे पेट, पीठ या जांघों) के ऊतकों का। यह किसी प्रकार की ब्यूटी सौंदर्य सर्जरी नहीं, बल्कि लाइफ सेविंग सर्जरी से पैदा होने वाले एक साइड इफेक्ट को ठीक करनी की प्रक्रिया है।

मेंटल और इमोशन हेल्थ से जुड़ा
ब्रेस्ट को हटा देने सिर्फ शारीरिक परिवर्तन नहीं, बल्कि महिला की भावनात्मक और मानसिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव डालता है। यह आत्मविश्वास, शरीर के प्रति धारणा और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है। लेकिन ब्रेस्ट सर्जरी से इम्पांट होने के बाद महिलाएं खुद को फिर से ‘पूर्ण’ महसूस कर सकती हैं। दुनिया भर के शोध बताते हैं कि जिन महिलाओं ने ब्रेस्ट सर्जरी के बाद ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन कराया है उनमें लाइफ क्वालिटी बेहतर रही और डिप्रेशन और टेंशन भी ऐसे लोगों में कम पाया गया है।

आधुनिक तकनीकों से सुरक्षित और सफल सर्जरी

आज पुनर्निर्माण तकनीकें काफी उन्नत हो चुकी हैं। माइक्रोसर्जरी तकनीक से मरीज के अपने ऊतकों (अक्सर पेट से) का उपयोग करके स्तन बनाया जाता है। इस प्रक्रिया को DIEP फ्लैप कहा जाता है, जिसकी सफलता दर 99% से अधिक है, बशर्ते इसे अनुभवी सर्जन द्वारा किया जाए। यह सर्जरी कैंसर के साथ ही एक ही ऑपरेशन में की जा सकती है और इसमें बहुत कम अतिरिक्त समय लगता है। यह प्रक्रिया बेहद सुरक्षित है, कैंसर के जोखिम को नहीं बढ़ाती और भविष्य के उपचार में कोई बाधा नहीं डालती। पेट के ऊतकों से किए गए पुनर्निर्माण का एक अतिरिक्त लाभ यह भी है कि इससे शरीर का आकार सुधरता है और ये स्तन बिल्कुल प्राकृतिक लगता है जो उम्र के साथ सामान्य रूप से बदलता है।

भारत में क्यों ज़रूरी है जागरुकता
भारत में अधिकांश महिलाएं 40 से 50 वर्ष की उम्र में स्तन कैंसर से प्रभावित होती हैं। यानी पश्चिमी देशों की तुलना में लगभग एक दशक पहले। इस उम्र में स्तन पुनर्निर्माण न केवल आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित करता है, बल्कि महिलाओं के जीवन में आत्मविश्वास भी लौटाता है। भारत में पुनर्निर्माण की कम दर का सबसे बड़ा कारण है जागरूकता की कमी। कई बार मरीजों को यह बताया ही नहीं जाता कि ऐसा विकल्प मौजूद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *