नक्सल-मुक्त भारत की दिशा में मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि, अब केवल 3 जिले सबसे अधिक प्रभावित

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में मोदी सरकार ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। देश में नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या घटकर अब केवल 3 रह गई है, जबकि पहले यह संख्या 6 थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को बयान जारी कर बताया कि अब केवल बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर (छत्तीसगढ़) को सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिले की श्रेणी में रखा गया है। इसके साथ ही वामपंथी उग्रवाद (एलडब्लूयई) प्रभावित जिलों की संख्या भी घटाकर 11 कर दी गई है, जो पहले 18 थी। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि 31 मार्च 2026 तक देश को पूरी तरह नक्सल-मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में चलाए जा रहे राष्ट्रीय नीति एवं कार्ययोजना के तहत नक्सलवाद के खिलाफ बहुआयामी रणनीति अपनाई गई है। इसमें सटीक खुफिया सूचनाओं पर आधारित और जनहितैषी सुरक्षा अभियानों के साथ-साथ उन क्षेत्रों में सुरक्षा उपस्थिति को सुदृढ़ किया गया है, जहां पहले सुरक्षा का अभाव था।
बयान के अनुसार, सरकार की इस सख्त और संतुलित नीति का नतीजा है कि वर्ष 2025 में अब तक नक्सल विरोधी अभियानों में रिकॉर्ड 312 उग्रवादी मारे गए, जिनमें सीपीआई (माओवादी) के महासचिव और 8 पोलित ब्यूरो/केंद्रीय समिति सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा 836 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया और 1,639 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में वापसी की है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति सदस्य भी शामिल हैं।
केंद्र सरकार की रणनीति के तहत नक्सली नेतृत्व पर सटीक प्रहार, ओवरग्राउंड नेटवर्क का ध्वंस, फंडिंग के स्रोतों पर रोक, तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास और जनकल्याण योजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन किया जा रहा है। साथ ही केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय को मजबूत बनाते हुए नक्सलवाद से जुड़े मामलों की जांच और अभियोजन को तेज़ी दी गई है।
बयान में कहा गया है कि साल 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा देश की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती कहे गए नक्सलवाद का प्रभाव अब तेजी से घट रहा है। कभी नेपाल के पशुपति से लेकर आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक रेड कॉरिडोर बनाने का सपना देखने वाले नक्सलवादियों का नेटवर्क सिमट चुका है। वर्ष 2013 में जहां 126 जिलों में नक्सल हिंसा दर्ज की गई थी, वहीं मार्च 2025 तक यह घटकर मात्र 18 जिलों तक रह गई जो अब केवल 3 जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं।

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