WHO की बैठक में भारत ने हर्बल दवाओं के नियमन में वैश्विक सहयोग के लिए दोहराई प्रतिबद्धता

0
165

नयी दिल्ली { गहरी खोज }:भारत ने पारंपरिक और हर्बल दवाओं के नियमन (रेगुलेशन) में वैश्विक सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर दोहराई है। यह घोषणा इंडोनेशिया के जकार्ता में 14 से 16 अक्टूबर तक आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की “इंटरनेशनल रेगुलेटरी कोऑपरेशन फॉर हर्बल मेडिसिन्स” की 16वीं वार्षिक बैठक में की गई। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व आयुष मंत्रालय के सलाहकार और उप महानिदेशक (कार्यवाहक) डॉ. रघु अरक्कल की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने किया। उन्होंने “हर्बल मेडिसिन्स की प्रभावशीलता और उपयोग” (वर्किंग ग्रुप-3) पर तैयार कार्यशाला रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें भारत के विकसित होते नियामक ढांचे और पारंपरिक चिकित्सा में साक्ष्य-आधारित नीतिगत पहलों पर प्रकाश डाला गया।
बैठक के उद्घाटन सत्र में डॉ. अरक्कल ने भारत में हर्बल दवाओं की स्थिति पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने हाल के वर्षों में आयुष मंत्रालय द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों, नई पहलों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की जानकारी साझा की। अपने संबोधन में उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा के नियमन को मजबूत करने और वैश्विक स्तर पर सहयोग बढ़ाने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को उजागर किया। इस अवसर पर भारतीय औषध संहिता आयोग के निदेशक डॉ. रमन मोहन सिंह ने “हर्बल मेडिसिन्स की सुरक्षा और नियमन” (वर्किंग ग्रुप-1) पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने “भारतीय दृष्टिकोण से हर्बल मेडिसिन्स की सुरक्षा और नियमन” पर भी एक विशेष प्रस्तुति दी।
आयुष मंत्रालय ने कहा, “भारतीय प्रतिनिधिमंडल के व्यापक योगदान से यह स्पष्ट होता है कि हर्बल दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता के वैश्विक मानकों को निर्धारित करने में भारत की भूमिका निर्णायक है।” मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत, WHO-IRCH के तहत अंतरराष्ट्रीय नियामक संस्थाओं के साथ सक्रिय सहयोग के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा और प्राकृतिक उत्पाद आधारित स्वास्थ्य देखभाल में विज्ञान-आधारित और सामंजस्यपूर्ण नियमन को बढ़ावा दे रहा है। राष्ट्रीय औषधीय पौध बोर्ड के सीईओ डॉ. महेश दधीच ने औषधीय पौधों के सतत उपयोग, गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण के महत्व पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि औषधीय पौधों के संरक्षण और जिम्मेदार उपयोग के लिए वैश्विक सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
आयुष मंत्रालय ने कहा, “भारत की भागीदारी से यह सिद्ध होता है कि वह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सशक्त करने और हर्बल दवाओं के नियमन में वैश्विक मानकों को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।” यह बैठक विश्वभर के नियामक अधिकारियों और विशेषज्ञों को एक साथ लाने का एक महत्वपूर्ण मंच रहा, जिसका उद्देश्य हर्बल मेडिसिन्स के नियमन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सामंजस्य को और मजबूत करना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *